Book Title: Jinabhashita 2002 12
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 29
________________ शाबास जैन समाज हाल ही में रफीगंज (बिहार) में हुई राजधानी एक्सप्रेस की दिल दहला देने वाली भयानक रेल दुर्घटना ने सभी को चौंका दिया। यह ट्रेन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण ट्रेन है। अधिकांश वी.आई.पी. ही इसमें सफर करते हैं। रफीगंज दिल्ली-हावड़ा लाइन के मुगलसराय- गया के बीच का स्टेशन है जो गया से लगभग 40 कि.मी. (रेलवे से) दिल्ली की ओर है। यहाँ आने-जाने का सुगम साधन ट्रेन ही है। बस में आने-जाने पर जी.टी. रोड स्थित शिवगंज गाँव से बीस कि.मी. कच्ची-पक्की सड़क से अन्दर जाना पड़ता है। लगभग 20 हजार की आबादी वाले इस कस्बे में 40-45 घर जैन समाज के हैं। लगभग सभी राजस्थान के मूल निवासी हैं। कपड़ा, गल्ला, चावल आदि का व्यवसाय प्रमुख है। इस वर्ष दशलक्षण पर्व पर हमें रफीगंज की समाज ने आमंत्रित किया था । हम किसी तरह मुगलसराय से डेयरी आन सोन तथा वहाँ से टैक्सी से रफीगंज पहुँच सके। जैन समाज अपनी सेवा भावना के लिए सुविख्यात है। हमें इस घटना के बाद रफीगंज समाज की सेवा-भावना को करीब से देखने का अवसर मिला। पटना से प्रकाशित होने वाले दैनिक हिन्दुस्तान, 'आज' तथा जागरण आदि समाचार पत्रों ने जैन समाज या जैन सभा के कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। 'आज तक' टी.वी. चैनल ने भी इन कार्यों की प्रशंसा की है। औरंगाबाद के डी.एम. तथा एस.पी. ने भी समाज के लोगों को धन्यवाद दिया। इण्डिया टुडे (25 सित, 2002) के पृष्ठ एक पर जो चित्र छपा है उसमें श्री सुन्दरलाल जैन छावड़ा को एक महिला की मदद करते हुए दिखाया गया है। रेलवे विभाग की ओर से रफीगंज के कुछ सेवा भावी नागरिकों को सम्मान-पत्र देने की योजना की चर्चा है, जिनमें अनेक जैन बन्धु हैं। हमारे साथ प्रतिदिन पूजन करने वाले श्री सुन्दरलाल व अन्य बन्धुओं ने इस त्रासदी की चर्चा की एक विशेष बात यह रही कि इस समय किसी का कोई सामान चोरी नहीं गया, पुलिस बहुत देर बाद पहुँची। जैन समाज ने सामान सुरक्षित रखने के लिए भी एक कैम्प लगा दिया था। ऐसी घटनाओं में स्थानीय लोग ही जल्दी आ पाते हैं समाज, विशेषत: जैन समाज ने सेवा भावना का जो परिचय दिया वह सचमुच अनुकरणीय है। प्रशंसनीय भी है । हमने समाज के कुछ सेवाभावी लोगों से चर्चा की। श्री गुलझारी लाल गंगवाल कहते हैं- "हमें रात दो बजे पता चला, तीनों लड़के गये सुबह सुधीर आ गया बोला दुकान खोलना है। मैंने कहा- आज कोई दुकान नहीं खुलेगी। सुधीर फिर चला गया। उस दिन पूरा बाजार बंद रहा। गुलझारी लाल जी का फोन Jain Education International डॉ. कपूरचंद जैन, खतौली दो दिन लगातार निःशुल्क सेवायें देता रहा। पुत्र ललित व विनोद तो हमारे सामने भी रोज किसी न किसी का सामान दिलाने या डेड बॉडी का प्रमाण-पत्र दिलाने में भागा दौड़ी करते देखे गये। ललित जैन कहते हैं- 'हमने प्रातः ही चाय--रस का स्टाल लगा दिया था सोचा इसका व्यय मैं व मेरे एक साथी कर लेंगे' पर ऐसी स्थिति नहीं आई। सभी सामान लोग अपने-आप आकर देते गये। ललित जी के अनुसार स्टेशन मास्टर (परिचित होने के कारण ) ने रात में हमें सूचना दे दी थी। सुन्दरलाल छावड़ा कहते हैं रात एक-डेढ बजे शहर में तहलका सा मच गया था। मैं घटना स्थल पहुँचा और लोग भी पहुँच चुके थे । दृश्य भयानक था मेरे एक साथी (जैन) ने तो सीढ़ी लगाकर जान की परवाह न करते हुए पुल से लटकते डिब्बे से लोगों को निकाला। श्री दयालचंद जैन कहते हैं मेरी धर्मपत्नी ने घर में जितना आटा था सभी की पूरियाँ बनाकर भेज दीं। (दयालचंद जी की धर्मपत्नी ने दस दिन के उपवास किये हैं ।) एक स्थानीय जैन बन्धु की एस.टी.डी. पर रात 11.30 पर लोग फोन करने आये, उन्हें पता चला और जितने जैन बन्धुओं के नम्बर उनके पास थे सभी को फोन कर दिया। 3-4 बजे तक अधिकांश लोग घटना स्थल पर पहुँच गये थे। पंचमी और पष्टी को दशलक्षण के दौरान भी पूजा या आरती में किसी प्रकार के वाद्य नहीं बजाये गये। स्थानीय जैन समाज के अधिकांश सदस्यों के अनुसार तत्काल पहुँचने वालों में श्री चन्दनमल जैन व उनके पुत्र श्री विकास जैन, श्री निर्मल कुमार हसपुरा, जितेन्द्र काला ( सीढ़ी लगाकर लोगों को निकाला ), विजय कुमार काला आदि थे । इनके अतिरिक्त अन्य लोगों में श्री दयालचंद जैन, श्री स्वरूप चंद गंगवाल, श्री पवन काला, श्री पवन बड़जात्या, श्री संजय जैन, श्री कपूरचंद कासलीवाल, श्री निर्मल कासलीवाल, श्री विजय कासलीवाल, श्री शान्तिलाल काला, श्री अरुण जैन, श्री शिखरचंद कासलीवाल आदि के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं। जैन महिलाओं ने भी सामान बनाकर भेजने में विशेष सहयोग दिया। ऐसी घटनायें कभी भी और किसी भी स्थान पर घट सकती हैं। घटना का कारण चाहे जो हो। ऐसे प्रकरणों से जैन समाज को प्रेरणा लेकर निःस्वार्थ भाव से सेवा करनी चाहिए। दया, सेवाभाव और करुणा जैनत्व की पहचान हैं। " For Private & Personal Use Only अध्यक्ष संस्कृत विभाग कुन्दकुन्द जैन (पी.जी.) कॉलेज खतौली- 251201 (उ.प्र.) -दिसम्बर 2002 जिनभाषित 27 www.jainelibrary.org

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