Book Title: Jinabhashita 2002 12
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 28
________________ [ प्रमाण-पत्र सांगानेर सांगानेर सांगानेर पर हाय तौबा मचाने वाले जैन संस्कृति रक्षा मंच वालो अतिशय क्षेत्र सांगानेर पर प्रतिष्ठित प्रमुख हस्तियों की क्या भावना है। 1. लोकायुक्त श्री मिलापचंद जैन (राजस्थान सरकार, । काम करने की बुद्धि किसी की हो ही नहीं सकती है। कमेटी के जयपुर ) का कहना है कि- सांगानेर संघी जी मन्दिर के दर्शनों | सदस्य भी इस बात के लिये सचेष्ट हैं कि मन्दिर के पुरातन स्वरूप का मुझे आज सौभाग्य प्राप्त हुआ। मूलनायक भगवान आदिनाथ | को कोई क्षति नहीं पहुँचे। अत: वे सभी अक्षय पुण्य अर्जन कर की प्रतिमा के दर्शन करके मुझे बड़ी शान्ति मिली। मन्दिर की | रहें हैं। मन्दिर के समीप होने वाले नवनिर्माण के बारे में विशेषज्ञों प्राचीनता भी हृदय को प्रभावित करने वाली है। मन्दिर में काफी | से राय लेना अभीष्ट होगा ताकि सम्पूर्ण परिसर गरिमामय व आभावान काम हुआ है। मुझे यह नहीं ज्ञात होता है कि प्राचीनता का कोई बन सके। मन्दिर के दर्शन कर अपने पुरातन गौरव से मन प्रफुल्लित विनाश या विध्वंस हुआ हो। यहाँ पर दर्शनार्थियों की संख्या | होने के साथ गौरव से भर उठा है। धन्य है हमारे पुरखे जिन्होंने निरन्तर बढ़ती रही है। व्यवस्था भी अच्छी है। दर्शनों का लाभ | ऐसी अमूल्य दौलत से हमें नवाजा, एक बार पुन: इस मन्दिर से पाकर जीवन में सभी को सुख व शान्ति मिलती है। जीवन सफल | जुड़े समस्त कमेटी सदस्य भूतपूर्व एवं वर्तमान को मेरा नमन। होता है। 3. अखिल भारतीय दिगम्बर जैन परिषद्, नई दिल्ली - दिनांक 27.5.2001 15.5.2000 आज मुझे अपने साथी इन्दौर के प्रसिद्ध अभिभाषक मिलाप चन्द जैन | श्री शान्तिलाल जी जैन एवं डॉ. श्री राजेन्द्र कुमार जी जैन, पूर्व । लोकायुक्त, राजस्थान मंत्री प.पू. शासन के साथ श्री दिगम्बर जैन मन्दिर संघी जी में "क्या कहा है हमारे प्रातः स्मरणीय धर्म गुरु ने" आकर प.पू. तीर्थंकरों के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ इस प.पू. वात्सल्य रत्नाकर सधर्म प्रवर्तक आचार्यरत्न श्री 108 | मन्दिर के दर्शन कराने व इसके महत्त्व को समझाने में मन्दिर बाहुबलि जी महाराज। 8.2.2002, सांगानेर अतिशय क्षेत्र महा | कर्मचारियों का सहयोग उल्लेखनीय रहा। मैं यहाँ आकर अपने प्राचीन है सांगानेर में ही 7 जिन मन्दिर हैं। तीस वर्ष पूर्व गुरुदेव आप को धन्य मानता हूँ। प्राचीन मूर्तियाँ होने के साथ ही ऐसा आचार्य देशभूषण जी महाराज के साथ में इन सभी मन्दिर जिन | प्रतीत होता है कि यह अति विशिष्ट भी है व एक समय यह स्थान भगवानों का एवं बुहार में विराजमान रत्नआदि प्राचीन जिनमृर्तियों समस्त भारतवर्ष में ही नहीं, अपितु आस-पास के सभी देशों में के दर्शन हुए हैं। हम पुनीत हुए हैं। इस क्षेत्र का सुधार बहुत कुछ भी प्रसिद्ध रहा है। इसी कारण यहाँ विदेशों से भी यात्री आते हैं। हो रहा है और आगे भी क्षेत्र उन्नति करे यही हमारी और पूरे मुनि | आज ही मैंने इटली से आकर दर्शन कर रहे एक परिवार को संघ का क्षेत्र को, क्षेत्र कमेटी को सभी दानी एवं कार्यकर्ताओं को देखा। सांगानेर व उसका यह जैन मन्दिर अति प्राचीन एवं एक शुभाशीर्वाद। तीर्थ स्थान है। यहाँ पर नवीन निर्माण कार्य आचार्य श्री प.पू. श्री 2. अशोक बड़जात्या। राष्ट्रीय अध्यक्ष- दिगम्बर जैन | विद्या सागर जी महाराज की प्रेरणा से हुआ है वह भी अति सुन्दर सोशल ग्रुप फैडरेशन । राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष-दिगम्बर जैन महासमिति।। व प्रभावशील हैं मैं पुन: सपरिवार आकर दर्शन करने की इच्छा 2.7.2001 आज श्री मन्दिर जी एवं बाबा आदिनाथ के रखता हूँ। दर्शन किये। आनन्द की ऐसी अनुभूति हुई जो जीवन में कम ही साहू रमेश चंद जैन डॉ. राजेन्द्र जैन पूर्व मंत्री म.प्र. समय पर होती है। मन्दिर निर्माण एवं जीर्णोद्धार देखकर अध्यक्ष महामंत्री प्रबंधकारिणी कमेटी को मैं हार्दिक धन्यवाद एवं साधुवाद देना 'सिर्फ एक ही पृष्ठ बहुत है ( अतुल चाहता हूँ। बाबा के पुण्य प्रताप से कोई हानिकारक एवं अनिष्ट गोधा कोटा द्वारा प्रकाशित) से साभार सूचना वेदीप्रतिष्ठा, सिद्धचक्रविधान एवं अन्य विधान, दशलक्षणपर्व, आष्टाह्निका, मांगलिक कार्यों आदि को आगमोक्त विधि से सम्पन्न कराने हेतु प्रशिक्षित विद्वान श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान, सांगानेर से आमंत्रित कर सकते हैं। सम्पर्क सूत्र - सुकान्त जैन , व्यवस्थापक श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान, जैन नसियाँ रोड, वीरोदय नगर,सांगानेर जयपुर (राजस्थान) फोन-(0141)730552 फैक्स (0141) 314428 26 दिसम्बर 2002 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36