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से कार्यक्रम सफलतापूर्व सम्पन्न हुआ।
डॉ. जयकुमार जैन (मुजफ्फर नगर), प्रो. हीरालाल पाँड़े ( भोपाल ). पन्नालाल गंगवाल | पं. लालचन्द जैन राकेश (गंजबसौदा), पं. रतनलाल बैनाडा
सचिव- पा. ब्र. आश्रम गुरुकुल, एलोरा (आगरा). पं. उत्तमचन्द राकेश (ललितपुर), डॉ. नरन्द्रकुमार अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद
जैन ( सनावद). डॉ. शोभालाल जैन (जयपुर), पं. सुनीलकुमार का 23वाँ साधारण सभा-अधिवेशन सम्पन्न
जैन ( भगवा). पं. शिखरचन्द जैन, पं. शीतलचन्द्र जैन (सागर),
पं. छोटेलाल जैन (झाँसी). पं. सरमनलाल दिवाकर ( हस्तिनापुर ) ___ श्री दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र बिजौलिया (जिला
आदि विद्वानों ने सम्बोधित किया।। भीलवाड़ा) राज. में परम जिनधर्मप्रभावक, तीर्थजीर्णोद्धारक,
दि. 15 अक्टूबर की रात्रि में वरिष्ठ विद्वान डॉ. अशोककुमार आध्यात्मिक सन्त, मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज, पूज्य क्ष.
जैन ( लाडन)का “विसंवादों के बीच शान्ति का उपाय: अनेकान्त" श्री गम्भीरसागर जी महाराज एवं क्षु. श्री धैर्यसागर जी महाराज के
विषय पर शास्त्रीय व्याख्यान हुआ। सान्निध्य एवं विद्वत्प्रवर डॉ. फूलचन्द्र जैन 'प्रेमी' (वाराणसी) की
अ.भा.दि.जैन विद्वत्परिषद् साधारण सभा द्वारा गहन विचार अध्यक्षता में प.पू. क्षु. श्री गणेशप्रसाद वर्णी की प्रेरणा से सन्
विमर्श के बाद सर्व सम्मति से प्रस्ताव पास कर संतशिरोमणि 1944 में संस्थापित दिगम्बर जैन विद्वानों की शीर्ष संस्था अ.भा.दिग.
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज एवं मुनिपुंगव श्री सुधासागर जैन विद्वत्परिषद् का 23वाँ अधिवेशन दि. 15 से 17 अक्टूबर
जी महाराज की प्रेरणा से विभिन्न तीर्थ क्षेत्र कमेटियों द्वारा किय 2002 तक भव्य गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ; जिसमें 125 विद्वानों
गये जीर्णोद्धार कार्यों की सराहना की गयी तथा तथाकथित एवं 75 श्रमण संस्कृति संस्थान के विद्यार्थियों ने भाग लिया।
जैनसंस्कृति संरक्षण मंच द्वारा प्रकाशित “जागिये, उठिये और सम्पूर्ण अधिवेशन का संचालन/संयोजन पार्श्व ज्योति (मासिक)
आगे बढ़िये" तथा "जैनपुरातत्त्व के विध्वंस की कहानी" द्वारा के प्रधान सम्पादक डॉ. सुरेन्द्रकुमार जैन 'भारती' (मन्त्री) ने
समाज को भ्रामक जानकारी देनेवाली पुस्तकें मानते हुए इन प्रकाशनों किया।
को घोर निन्दा एवं भर्त्सना की गयी तथा इनके वितरक एकान्तवादी इस अधिवेशन में जैनप्रचारक (मासिक) के सम्पादक
संगठनों के प्रति तीव्र रोष प्रकट किया गया। अन्य प्रस्तावों के एवं वरिष्ठ विद्वान डॉ.सुरेशचन्द्र जैन (दिल्ली) को 5101/- रुपये
माध्यम से भगवान पार्श्वनाथ पर कमठकृत उपसर्ग स्थली एवं का पृ. क्षु. गणेशप्रसाद वर्णी स्मृति पुरस्कार भव्य प्रशस्ति मञ्जूषा
केवलज्ञानोत्पत्ति भूमि बिजौलियाँ (जो वहाँ प्राप्त शिलालेखों से के साथ प्रदान किया गया तथा पार्श्व ज्योति (मासिक) के वरिष्ठ
पुष्ट होती है) को मान्यता प्रदान करते हुए वहाँ तीर्थ संरक्षण हेतु सम्पादक, युवामनीषी, विद्यारत्न डॉ. नरेन्द्रकुमार जैन (सनावद)
किये जा रहे विकास कार्यों की सराहना की गयी। परिषद ने यह को उनकी शोधकृति "जैन दर्शन में रत्नत्रय का स्वरूप' पर
भी प्रस्ताव किया कि पंचकल्याणक प्रतिष्ठाओं से प्राप्त आय से 5101/- रुपये का गुरुवर्य गोपालदास वरैया स्मृति पुरस्कार
जैन पाठशालायें खोली जायें ताकि समाज एवं धर्म का उन्नयन भव्य प्रशस्ति मंजूषा के साथ प्रदान किया गया। यह पुरस्कार श्री
हो। परिषद् ने समाज का आह्वान किया कि वह अपने अपने नगरों लाभचन्द्र जैन, श्री प्रकाश गोधा, श्री प्रकाश पटवारी, श्री ऋषभ
में करणानुयोग के प्रख्यात मनीषी स्व. पं. रतनचन्द्र मुख्तार का मोहिवाल, डॉ. फूलचन्द्र प्रेमी (अध्यक्ष) एवं डॉ. सुरेन्द्र कुमार
जन्मशताब्दी समारोह आयोजित करें। जैन (मन्त्री) ने अपने कर कमलों से प्रदान किए। पुरस्कृत विद्वानों
विद्वत्परिषद् की ओर से बिजौलियाँ तीर्थ की रक्षा एवं का परिचय एवं समारोह का संचालन अनेकान्त (मासिक) के
विकास में प्राणपण से संलग्न श्री भंवरलाल पटवारी (बिजौलियाँ) सम्पादक डॉ. जयकुमार जैन (मुजफ्फर नगर) ने किया। यह
एवं संयोजक श्री ऋषभ मोहिवाल (कोटा) का हार्दिक अभिनन्दन पुरस्कार प्रतिवर्ष प्रदान किये जायेंगे।
किया गया। अधिवेशन के मध्य संगोष्ठी एवं विचार-विमर्श क्रम में तीर्थक्षेत्र बिजौलिया के विशाल शिलालेख एवं भगवान पार्श्वनाथ
प्रत्येक सत्र में मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज एवं का जीवन दर्शन, पुरातत्त्व संरक्षण एवं तीर्थ जीर्णोद्धार तथा
सायंकाल पू.क्ष. श्री गम्भीर सागर जी महाराज के मार्मिक प्रवचन समसामयिक परिदृश्य पर विस्तृत चर्चा हुई। अधिवेशन को अ.भा.
हुए। दि. जैन विद्वत्परिषद् के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रमेशचन्द्र जैन डी.लिट.
इस अवसर पर विद्वानों को दिए गए विशेष प्रबोधन में (बिजनौर) एवं वर्तमान अध्यक्ष डॉ. फूलचन्द 'प्रेमी' (वाराणसी), परमपूज्य मुनिश्री सुधासागर जी महाराज ने कहा कि विद्वान समाज डॉ. शीतल चन्द्र जैन-उपाध्यक्ष (जयपुर), डॉ. सुरेशचन्द्र जैन- की रीढ़ हैं। वे अपने वैदुष्य एवं चारित्र से जैनधर्म एवं समाज का 'पूर्व उपाध्यक्ष (दिल्ली), डॉ. सुरेन्द्रकुमार जैन भारती-मन्त्री महनीय विकास कर सकते हैं। प्राचीन तीर्थ हमारी संस्कृति के वे (बुरहानपुर), डॉ. विमला जैन- संयुक्त मन्त्री (फिरोजाबाद), | आयाम हैं जिनकी रक्षा करना हम सबका कर्त्तव्य है। मैं इसी डॉ. नेमिचन्द्र जैन-उपमन्त्री (खुरई), डॉ. कमलेशकुमार जैन- | पुनीत भावना से समाज एवं कमेटियों द्वारा मांगने पर तीर्थ विकास प्रकाशन मन्त्री (वाराणसी), प्राचार्य निहालचन्द जैन (बीना). | हेतु अपना आशीर्वाद देता हूँ। विद्वान् विभिन्न तीर्थक्षेत्रों पर जायें
-दिसम्बर 2002 जिनभाषित 31
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