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से किये गये परीक्षण के अनुसार सनसेट येलो का अधिक सेवन
ब्रेड किसके लिये भयावह है ? अन्धत्व (Blindness) ला सकता है। ये रसायन बच्चों के विकास सी.ई.आर.सी. की पत्रिका 'इनसाइट' की सम्पादिका प्रीति में बाधक बनते हैं। पाचनशक्ति भी मंद हो जाती है। फिर ऐसी | शाह ने लिखा है- 'एक प्रकारसे विचार करने पर मालूम होता है हानिकारक रंग-बिरंगी टॉफियों और चॉकलेटों का लुभावना विज्ञापन | कि विषयुक्त रसायनों की मिलावट से अधिक भय तो छोटे बच्चों देकर बच्चों को क्यों धोखे में डाला जाता है? करीब 40 प्रतिशत | को, गर्भवती स्त्रियों को, वृद्ध व्यक्तियों को और कम प्रतिकारक बच्चे तो विज्ञापनों से आकृष्ट होकर ही इन्हें खरीदते हैं।
शक्तिवाले रोगियों को बना रहता है।' चरबी से बनाई गई कुछ चॉकलेटें।
सी.ई.आर.सी. ने ब्रेड की 13 ब्राण्डों का नामोल्लेख भ कुछ चॉकलेटें चरबी के गिरे हुए टुकड़ों से कैसे बनायी | किया है, जिनका परीक्षण किया गया था। यदि ऐसी प्रख्यात जाती हैं, उसे श्रीमती मेनका गाँधी ने भी स्पष्ट किया है (देखिए । ब्राण्डों में भी ऐसे जहरीले रसायन हों तो यत्र-तत्र तैयार की जाती उनके लेख का प्रथम भाग)
सुन्दर और मनोहर पैकिंगवाली तथा आकर्षक विज्ञापनोंवाली दूसरी उपर्युक्त हकीकतों से स्पष्ट हो जाता है कि
ब्रेडों की तो बात ही क्या करना? आप और आपके बच्चे पाव (1) कुछ चॉकलेटें चरबीजन्य होने से शाकाहारियों को | ब्रेड और बिस्किट खाने के पहले वे जिन चीजों से बनाये जाते हे स्वयं तथा अपने बच्चों को लेकर सावधान रहना चाहिये ताकि | इसका विचार करें तो इनसे बच जाएँगे। अनजान में होने वाले मांसाहार से बचा जा सके।
बिस्किट के बारे में यह भी विचारिये। (2) चॉकलेटों में उपयोग में लाये जाने वाले निकल एवं खाद्य पदार्थ-मिलावट-प्रतिबन्धक नियम अ-18/07 के रसायन वैज्ञानिक शोधों के अनुसार हानिकारक हैं और कुछ | अनुसार आइसक्रीम की तरह बिस्किटों में भी अण्डों का उपयोग खतरनाक तथा असाध्य रोग भी उत्पन्न कर सकते हैं।
करने की अनुमति दी गयी है, किंतु बिस्किट में अण्डों का मिश्रण (3) चॉकलेट आदि खाने वालों के दाँत, पाचन, स्वास्थ्य करने पर उसकी सूचना अथवा विज्ञापन भी जारी करना अनिवार भी बिगड़ जाते हैं।
नहीं है। अत: शाकाहारी लोग अपने बच्चों को बड़े चाव से यति तो क्या आप मीठी चॉकलेटों के कटु और हानिकारक बिस्किट खिलायें तो धोखे में ही रहेंगे। बेबी फूड्स के बारे परिणाम जानने पर भी अपने बच्चों को ये देंगे?
क्लोड अल्वारीस लिखते हैं कि 'बच्चों को मार डालने के लिये ब्रेड, बिस्किट और बच्चे
अनेक मार्ग हैं, बेबी फूड्स इनमें से एक है।' जो बात बेबी फूड्स आप और आपके बच्चे बड़े चाव से स्वादिष्ट ब्रेड और | के लिये सच है वही बात बिस्किट और आइसक्रीम के बारे में में बिस्किट खाते हैं। किंतु 'INTELLIGENT INVENTOR' | उतनी ही सच है। आटा पचाने के लिये भी क्षमता नहीं रखनेवालं में दिनाङ्क 9-8-2000 के अङ्क में छपे हुए एक लेख में निवेदिता बच्चों के पाचन-तन्त्र पर जब मैदे से बनाये हुए बिस्किटों क मुकर्जी क्या कहती हैं, इस पर एक दृष्टिपात कीजिये
आक्रमण होता है, तब वे मर न जाएँ तो भी बीमार तो हो हं आप अपने परिवार को गेहूँ का जो तैयार आटा खिलाते हैं जाएँगे। वेजीटेबल घी और मैदे से बनाये गये बिस्किटों की अपेक्ष वह विषयुक्त होता है। 'The Consumer Education and शुद्ध देशी घी, गुड़ और गेहूँ के आटे से बनायी जानेवाली सुखर्ड Research' ने अभी समग्र देश में से खरीदे हुए 13 प्रकार के | कहीं सस्ती और अच्छी है। आटों के सेम्पलों की परीक्षा की थी और देखने में आया कि इन
बिस्किट और ब्रेड की बला से बचिये सभी में डी.डी.टी. सहित लींडेन, एल्ड्रीन और इथोन- जैसे 'मुम्बई समाचार के दिनाङ्क 16 जनवरी, 2000 के अङ्क जन्तुनाशक रसायनों के अंश मिले हुए थे।
डॉ. केतन झवेरी' 'स्वस्थ जीवनशैली' में लिखते हैं कि 'यरि ब्रेड आटे में डी.डी.टी. और लीडेन-जैसे जन्तुनाशक रसायन आप अपनी तन्दुरुस्ती बनाये रखना चाहते हैं तो बेकरी के उत्पाद किस तरह आ गये, इसके बारे में कौन नहीं जानता? क्योंकि को दूर से ही सलाम कर दें। मैदे और वनस्पति घी से बनती प्राय फसल उगाने के समय इन द्रव्यों के उपयोग पर पाबंदी होने पर | सभी खाद्य चीजों (ब्रेड, पाव, केक, बटर के स्तरवाली नानखटाई भी इनका उपयोग किया जाता है।
टोस्ट, डोग्गी बिस्किट इत्यादि)- से दूर रहने में ही सलामती है। ध्यान दीजिये कि
बेकरी के उत्पादों में हानिकारक पदार्थ (1) डी.डी.टी. मस्तिष्क और ज्ञानतन्त्र को हानि पहुँचाता
बेकरी के अधिकतम उत्पादों में मुख्यतया दो हानिकारव खाद्य पदार्थ होते हैं- (1) वनस्पति घी और (2) मैदा।
ये दोनों पदार्थ आपके स्वास्थ्य को हानि पहुँचाते हैं (2) एल्ड्रीन से कैंसर होने का भय होता है।
बेकरी से मिलती स्तरवाली बटर बिस्किट में करीब आधा तं (3) इथोन-जैसे ऑर्गेनो फॉस्फेट्स से श्वसन-तन्त्र के
वनस्पति घी होता है। नान खटाई में लगभग 35 से 40 प्रतिशत ऊपरवाले भाग में मवाद (Pus) हो जाता है, पेट में पीड़ा उत्पन्न | वनस्पति घी. 20 प्रतिशत शक्कर और शेष मैदा होता है। अधिकत होती है, चक्कर आते हैं, वमन भी होता है, सिर में झटके लगते हैं, बेकरियों में तैयार किये जाते टोस्ट और कम घीवाले कहला अँधेरा-सा प्रतीत होता है और मन में कमजोरी महसूस होती है। | डोग्गी बिस्किट में भी प्राय: 20 से 25 ग्राम वनस्पति घी डाल 20 दिसम्बर 2002 जिनभाषित
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