Book Title: Jayoday Mahakavya Ka Samikshatmak Adhyayan Author(s): Kailash Pandey Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh KendraPage 15
________________ 卐 है । इस दृष्टिकोण से इस क्षेत्र पर विद्यालय को स्थापित करने का भी योजना है । साथ ही एक विशाल ग्रन्थालय भी स्थापित किया जायेगा। 17. भाग्यशाला ( औषधालय / चिकित्सालय ) जीव का आधार शरीर है और शरीर बाहरी वातावरणों से प्रभावित होकर जीव को अपने अनुकूल क्रिया करने में बाधा उत्पन्न करता है । तब शरीर में आई हुई विक्रतियों को दूर करने के लिये औषधि की आवश्यकता होती है । अतः इस औषधायल / चिकित्सालय से असहाय गरीबों के लिये निःशुल्क चिकित्सा कराने के विकल्प से स्थापना की जावेगी । 12. धर्मशाला क्षेत्र की विशालता को देखते हुये ऐसा लगता है कि भविष्य में यह एक लघु सम्मेद शिखर का रूप ग्रहण करलेगा । जिस प्रकार दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र श्री सम्मेद शिखरजी, महावीर जी अतिशय क्षेत्र आदि में निरन्तर यात्री आकर दर्शन पूजन आदि का लाभ लेते हैं उसी प्रकार इस क्षेत्र में भी तीर्थ यात्री बहु संख्या में आकर दर्शन पूजन का लाभ लेवेंगे। अतः उनकी सुविधा के लिये 300 कमरों की धर्मशाला आधुनिक सुविधाओं सहित बनाने का निर्णय लिया गया है । - 13. उदासीन आश्रम आकर अपने जीवन आश्रम के निर्माण करने का निर्णय लिया गया है । - 筑 - अपनी गृहस्थी से विरक्त होकर लोग इस क्षेत्र पर को धर्म साधना में लगा सकें । अतः उदासीन 14. बाउण्ड्री दीवाल - सम्पूर्ण क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए 6 फुट ऊंची बाउण्ड्री दीवाल की सर्वप्रथम आवश्यकता थी । पूज्य मुनि श्री के प्रवचनों से प्रभावित होकर अजमेर जिले की दिगम्बर जैन महिलाओं ने इस बाउण्ड्री को बनाने का आर्शीवाद प्राप्त किया । 15. पहाडी के लिए सीढ़ी निर्माण उबड़-खाबड़ उतङ्ग पहाड़ी पर जाने के लिए सीढ़ियों की आवश्यकता थी । अजमेर जिले के समस्त दिगम्बर जैन युवा वर्ग ने इस सीढ़ियों को बनाने का पूज्य मुनि श्री से आर्शीवाद प्राप्त किया । - - 16. अनुष्ठान विधान क्षेत्र शुद्धि हेतु 28.6.95 से 30.6.95 तक समवशरण महामंडल विधान का आयोजन पूज्य मुनि श्री सुधासागरजी महाराज ससंघ सानिध्य में किया गया । तद्नन्तर मुनि श्री के ही ससंघ सानिध्य में 1.12.95 से 10.12.95 तक सर्वतोभद्र महामंडल विधान अर्द्ध- सहस्र 5Page Navigation
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