Book Title: Jainetar Drushtie Jain
Author(s): Amarvijay
Publisher: Dahyabhai Dalpatbhai

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Page 2
________________ श्रीमद्विजयानन्दसूरीश्वरचरणारविन्दाभ्यां नमः । जैनेतरदृष्टिए जैन. अथवा जैनेतर अनेक मध्यस्थ विद्वानोना जैनधर्म संबन्धि अभिप्रायो. _' संग्राहकजैनाचार्य-न्यायाम्भोनिधि-श्रीमद्विजयानन्दसूरीश्वर (अपरनाम श्रीमदात्मारामजी महाराज) ना लघु- र शिष्य मुनिश्नी अमरविजयजी महाराज. Kachakeepakickasex छपावी प्रसिद्ध करनारशा. डाह्याभाई दलपतभाई. मु. भरुच. (गुजरात). वीर संवत् २४४९१ प्रथमावृत्ति (आत्म संवत् २७४ 2 विक्रम संवत् १९७९ । प्रत २००० । सन् १९१३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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