Book Title: Jain Tattvadarsha
Author(s): Vijayanandsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
Publisher: Atmaram Jain Gyanshala

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Page 350
________________ (५४२) जैनतत्वादर्श. तिलुब्ध एवो जमदनि, दोष तरफ बिलकुल दृष्टि नहि करतां रेणुकाने पुत्र सहित पोताना श्राश्रममां लाव्यो. ज्यारे परशुरामे पोतानी माताने पुत्र सहित दीठी, त्यारे अत्यंत क्रोधमा आवी परशुथी पोतानी मातातथा ते डोकराना मस्तक कापी नांख्यां. ज्यारे श्रा वृत्तांत अनंतवीर्य राजाना जाणवामां श्राव्यो, त्यारे क्रोध युक्त, फोज साथे भावी जमदग्निनुं श्राश्रम बाली नश्म कयु, सर्व तापसोने त्रास पमाड्यो. तापसोये नागतां नागतां जे रोलो कयों ते परशुरामे सांजल्यो; सर्व वृत्तांत जाणवा. मां श्रावतां परशुराम, राजानी सेना उपर परशु लश् चडी श्राव्यो. परशुथी राजाने तथा तेनी सेनाना सर्व सुनटोने काष्टनी जेम चीरी नाख्या. पनी पोताना श्राश्रममां चाल्यो गयो. हस्तिनापुरमा प्रधान राजपुरुषोये कृतवीर्यने राज्यसिंहासन उपर बेसाड्यो. कृतवीर्य उमरमां नानो हतो. एक दिवस पोतानी माताना मुखथी पोताना पिताना मोतनुं वृत्तांत सांजली क्रोधयुक्त थर, जमदनिने श्राश्रममां श्रावी मारी नांख्यो. परशुराम पितानो वध सांजली क्रोधमा जाज्वल्यमान थ हस्तिनापुर श्रावी कृतवीर्यने मारीने पोते राज्यसिंहासन उपर चडी बेगे, कारण के राज्य पराक्रमने आधीन बे. हवे कृतवीर्यनी तारा नामा गर्भवती राणी परशुरामना जयथी नागीने को जंगलमां तापसोना आश्रममा गश्. तापसोये दयाथी ते राणीने पोताना मना जोयरामा निधाननी जेम गुप्त राखी. राणीये चौद स्वप्न सुचित पुत्रने जन्म प्राप्यो. तेनुं नाम सुजूम राख्यु. हवे परशुराम ज्यां ज्यां क्षत्रियनो योग मले त्यां त्यां तेनो कुहाडो जाज्वल्यमान थतो होवाथी दरेक क्षत्रियनो शिरछेद करतो. अन्यदा तारा राणी ज्यां गुप्तपणे पुत्रसहित रहेली हती त्यां परशुराम श्राव्यो. परशुरामनी परशु जाज्वल्यमान थर. परशुरामे तापसोने पुब्युं, अहीश्रा को क्षत्रिय ? तापसोये कडं अमे गृहस्थावासमा क्षत्रियो हता. ते सांनली परशुरामे तापसोनो श्राश्रम तजी दीधों. श्राखर सर्व शषियोने बोडी सातवार निःक्षत्रिय पृथ्वी करी. जेम अग्नि पर्वत उपर घासने बाकी राखती नथी, तेम परशुराम जे जे क्षत्रिय राजाप्रमुख प्रसिद्ध हता,तेसवेने मारी, तेउनी दाढाथी एक थाल जयों. हवे परशुरामे गुप्तपणे निमित्तियाउने पुब्युं के मारुं मोत कोना हाथथी थशे? निमित्तियाये क

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