Book Title: Jain Siddhant Dipika
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 8
________________ अन्यरत्र किचिन् कृतं श्रम-विभाजनं तत्र कियत् सभाजन नात्रोल्लेखः कर्न शक्यस्तस्य न केवलं कर्त्तव्यनिर्वाह एव तत्र शासनसेवाऽपि उल्लेखनीयतामगमत् नेपां सर्वेपामित्यलं विस्तरेण । आचार्यः तुलसी वल्लनिकेतन अणुव्रत ग्राम, बंगलौर-१ १ सितम्बर, १९६६ (७)

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