Book Title: Jain Shwetambar Terapanthi Sampraday Ka Sankshipta Itihas
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Sabha
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उपवास दिन
संख्या | उपवास दिन
संख्या
४१४
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इन तपस्वी साधुका देहावसान चैत सुदी ७, सं० १६११ में हुआ। एक सौ वर्ष पहिले किए हुए उपवासोंमें से ये कुछ नमूने हैं। हालके तपस्वियोंमें श्री चुन्नीलालजी महाराज, श्री रणजीतमलजी महाराज तथा भी आशारामजी महाराजके नाम प्रमुख तपस्वियोंमें से हैं। __स्वामी श्री चुन्नीलालजी महाराज सरदार सहर (बीकानेर) के थे। वे नाहटा वंशके पोसवाल थे। सं०. १९४० में उनकी दीक्षा हुई थी। सं० १९४४ से उन्होंने एकान्तर (एक दिनके बाद एक दिन) तपस्या करनी शुरू की। छः वर्षों तक यह एकान्तर तपस्या जारी रही। सं० १९५० से उन्होंने बेले २ तपस्य शुरू की। दो दिनकी तपस्याके पार पारणा करते और फिर दो दिन उपवास करते। इस प्रकार एक
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