Book Title: Jain Shwetambar Terapanthi Sampraday Ka Sankshipta Itihas
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Sabha

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Page 39
________________ ( ३६ ) मास के समय में दस दिन आहार लेते बाकी २० दिन दो दो दिनका निरन्तर उपवास करते । इस प्रकारकी तपस्या वे निरन्तर २३ वर्षों तक करते रहे अर्थात सं० १६७२ तक यह तपस्या क्रम जारी रहा । इसके बाद से उन्होंने तेले तेले तपस्या करना शुरू किया अर्थात तीन दिन लगातार उपवासके बाद एक दिन आहार करते | यह तपस्या उन्होंने ३|| वर्षों तक की । इन तपस्याओं के सिवा उन्होंने और भी तपस्याएँ की थीं । उनका विवरण निम्न प्रकार है : 1 उपवास दिन संख्या उपवास दिन ४ ५ ६ U & ૨૦૦ ३६ ३६ ४४ २५ १ १ १० ११ १२ १३ १४ १५ १६ १७ १८ संख्या १ २ १ १ स्वामी चुन्नीलालजीने इन तपस्याओं के अतिरिक्त 'लघु संघकी' तपस्या भी की। इस तपस्याकी चार श्रेणियाँ होती हैं। प्रत्येक श्रेणीके १८७ दिनों में १५४ दिन उपवास और ३३ दिन आहार ग्रहण के रहते हैं । प्रथम श्रेणी में पारणेके दिन तपस्वीने बिगह लिया था। दूसरी श्रेणी में विगह नहीं लिया, तीसरी श्रेणीमें पारणेके दिन उन्होंने लेपका प्रयोग नहीं किया । 'लघु संघ' तपस्या बड़ी ही कठिन तपस्या है; इसमें उपवास से आरम्भ कर क्रमशः ६ दिनके निरन्तर उपवास करने तक पहुँच जाना पड़ता है । उपवास, बेले, तेले आदि प्रत्येकके बाद एक दिन पारण करना पड़ता है । निरन्तर ६ दिनकी तपस्या कर चुकने पर तपस्वीको Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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