Book Title: Jain Shwetambar Terapanthi Sampraday Ka Sankshipta Itihas
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Sabha
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( ४ )
२०४ साध्वियों विद्यमान हैं। नवम आचार्यके समयमें दीक्षित ७३ साधु
व ९५७ साविधयाँ विद्यमान हैं ।
इनमें थी प्रान्तके साधु ६६ साध्वियाँ
२६
मारवाड़
मेवाड़
मालवा
हरियाणा
पंजाब
३३
३
५
36
36
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""
99
"
२८४
६४
४८
३
४
दु ढाड
२
१४
39
कुँवारे साधु १३४, विपत्नीक १६ सजोड़े १६ स्त्री छोड़ १
कुमारी साध्वियाँ १७४ विधवा १६२ सजोड़े २० पति छोड़ ३८ यह सब साधु साध्वियाँ एक आचार्यकी आज्ञामें चल रही हैं । गत चातुर्मास में विभिन्न प्रान्तोंके ६७ शहरों में इनका चातुर्मास हुआ । इन सबको अपने दैनिक कृत्योंका लिखित हिसाब आचार्य महाराज को देना पड़ता है । स्वयं धर्ममें विचरते हुए भव्य जीवोंके आत्मिक उद्धारके निमित्त धर्मोपदेश देना ही इनके जीवनका एक मात्र लक्ष्य है। माघ महोत्सव
यह आचायोंकी दूरदर्शिता का ही फल है कि प्रत्येक वर्षे समस्त साधु साध्वियों के कार्यकलाप, आचार-व्यवहार, योग्यता आदिके निरीक्षण के लिये चातुर्मास के बाद माघ महीने में जहाँ श्राचार्य्यं महाराज विराजते हों वहाँ समस्त साधु सतियाँजी आकर श्री पूज्य श्राचार्य्यजी महाराज के दर्शन कर उनको अपने २ धर्म-प्रचार कार्य्य का परिचय देते हैं। माघ महोत्सव माघ सुदी ७ को होता है। जो साधु सतियाँ शारीरिक अशक्तता के कारण या प्रचार काय्यंके लिये सुदूर प्रदेश विशेषमें आचार्य महाराजकी आज्ञासे विचर रहने के कारण इस उत्सव में सामिल होने में असमर्थ हों, उनको छोड़ बाकी
सब साधु साध्वियों माघ सुदी ७ तक आ पहुँचते हैं । उसी दिन या
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