Book Title: Jain Shwetambar Terapanthi Sampraday Ka Sankshipta Itihas
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Sabha

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Page 41
________________ तपस्या करते रहे, और जब कभी मौका आया संथारेके लिये अनुमति माँगते रहे । भाद्र सुदी २ को उनकी ६० दिनकी तपस्या समाप्त हुई। इन ६० दिनोंमें उन्होंने २१ दिन तक तो जल भी ग्रहण न किया था। भाद्र सुदी २ को लगभग ७॥ बजे सुबह उन्हें संथारेकी आज्ञा दी गयी और ॥ घंटेके बाद उनकी आत्मा इस नश्वर शरीरको छोड़कर स्वर्ग सिधार गयी। उनके उपवासोंका विवरण इस प्रकार है:- . उपवासके दिन संख्या उपवासके दिन संख्या २६७५ 2 2 " 22 . ~ १०१ ( गोगुंदामें) १८२ ( राजनगरमें) १ साधु आशारामजीका जन्मस्थान मारवाड़ राज्यका बालोतरा माम था । वे ओसवाल जातिके थे और उनके पिताका नाम सूरजमल जी भंडारी था । इनका विवाह हो चुका था, परन्तु एक बलवान प्रात्मा के लिये सांसारिक बन्धन तोड़ना कोई कठिन काम नहीं। आपकी दीक्षा सं० १६७० की श्रावण सुदी ७ के दिन हुई थी। आपकी तपस्याका विवरण इस प्रकार है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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