Book Title: Jain_Satyaprakash 1946 10
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीकेसरियाप्रभु-द्वात्रिंशिका फर्ता:-पूज्य आचार्य महाराज श्रीविजयपद्मसूरिजी [आर्याच्छंदः] पंधित नेमिनाहं, सीलहर नेमिसूरिपयपउमं ॥ सिरिकेसरियापहुणो, रपमि दातिसियं समयं ॥ १ ॥ अण्णाणकट्ठजलणं, मोहघणानिलमुहंबुयालोय ॥ कारुण्णवाहिजलहि, भवनिण्णासं पगढमलं ॥२॥ अरिहंतं भगवंत, तिस्थयरं पुरिससीहमिज्जपयं ॥ पवरसयंसंबुद्ध, सइ केसरिबापटुं वंदे ॥ ३॥ (युग्मम्) आइगरं गयरोसं, पुरिसुत्तमपुरिसपुंडरीयपरं । पुरिसवरगंधहत्थि, सिरिकेसरियापहुं वंदे ॥४॥ लोगुत्तमलोगहिय, लोगपईवं च लोगवरना ॥ लोगुज्जोअगरं तं, सिरिकेसरियापहुं वंदे ॥ ५ ॥ अभयदयं नयणदयं, मग्गव्यं सरणदायगं वीरं ॥ योहिदयं धम्मदय, सिरिकेसरियापहु वंदे ॥६॥ जिणधम्मनायगवर, जगनाहं धम्मदेसयं धीरं ॥ घरधम्मचकवट्टि, सिरिकेसरियापहुं चंदे ॥ ७ ॥ अगचिंतामणिदेवं, जगरक्खगधम्मलारहिं पुज्ज ॥ विस्सुद्धारणसीलं, सिरिकेसरियापहुं वंदे ॥ ८ ॥ जावयतारगबुद्धं, अक्खलियपबोहदसणं तिण्णं ॥ घोहगमोयगमुत्तं, लिरिकेसरियापहुं वंदे ॥ ९॥ सवण्णुसव्वदद्रिसिं, विणट्ठकवर्ड विहूयघारयं ॥ अइसयसंदोहजुयं, सिरिकेसरियापहुं वंदे ।। १० ॥ सरमि पसण्णमुहकय, सग्गपवग्गप्पयाणदक्खपयं ।। तं भवपूअणिज्ज, तिव्वजरप्पमुहगेगहरं ॥ ११ ॥ सिरिकेसरियानाहे, हियअम्मि ठिए विणस्सए विग्धं ॥ पसरह परमा संती, वड्इ सुहभाषणा सुहया ।। १२ ॥ जंदणं भवा, कसाइया परिचअंति य कसाए। भवरागी भवराग, दोसो दोसं विलेसाओ ॥ १३॥ भूटा विमूढभावं, किलिट्ठभावं गया किलेसं च ॥ भयविहुरा भयविसर, सोगं सोगगया मणुया ॥ १४ ॥ पवरधुलेवानयरे, ठियबिंब दिव्धतिनियरघरं ॥ नालियकस्मविलासं, नाभिसुयं पुज्जपयकमलं । १५ ॥ -भववारिहिनिजामग-अवाडवीसत्यवाहसंकास ॥ घदेमि महागोवं, सुभावणालद्धसिद्धिन ॥ १६ ॥ For Private And Personal Use Only

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