Book Title: Jain Satyaprakash 1940 08 SrNo 61
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [४३८] શ્રી જેન સત્ય પ્રકાશ [વર્ષ ૫ वि. सं. १६८४ (ई. सं. १६२७ ) में जयमल जो ने बाडमेर कायम कर सूराचंद्र पोकरण, राउदडा और मेवासा के बागी सरदारों से पेशकशी कर उन्हें दण्डित किया । वि. सं. १६८६ ( ई० सं० १६२९ ) में महाराजा गजसिंहजीने जयमलजी को दिवान के पद पर सुशोभित किया । क्यों कि वे महाराजा के कृपापात्र और विश्वासपात्र सेवक थे । विवाह और संतति जयमलजी का पहला विवाह वैद मेहता लालचंद्र की पुत्री सरूपदे से हुआ था, जिससे आपके नैणसी, सुन्दरसी, आसकरण और नरसिंहदास नामक चार पुत्र हुए । दुसरा विवाह सिंघवी बिडदसिंह की पुत्री सुहादे से हुआ था, जिससे जगमाल नामक एक पुत्र हुआ। दानशीलता वि० सं० १६८७ (ई० सं० १६३०) में मारवाड और गुजरात में भयङ्कर अकाल पडा था । उस समय में ऐसे समय पर जयमलजी ने अपनी दानशीलता का अच्छा परिचय दिया । आपने मारवाड़ के भूखे महाजन, सेवक आदि अन्य भूखे, प्यासे, वस्त्रहीन दुःखी लोगों को १ बर्ष तक मुफ्त अन्न, पानी और वस्त्रदान देकर अपनी उच्च श्रेणी की सहृदयता और परोपकार वृत्ति का परिचय दिया था । आपकी दानवीरता दूर दूर तक प्रसिद्ध थी। धार्मिक क्षेत्र जयमलजी एक महान उदार धार्मिक प्रवृत्तिवाले पुरुष थे । आप तपा. गच्छीय जैन अनुयायी थे। धार्मिक कार्यों में दिल खोल द्रव्य व्यय करते थे । आपकी धार्मिक कोर्तिकौमुदी की पताका आज भी जालौर, सांचौर, नाडोल, शत्रुञ्जय और जोधपुर आदि नगरों में फहराती है। आपने कई जैनमंदिर बनवा कर जिनदेवों की मूर्तियां बनवाकर प्रतिष्ठाएं करवाई थी, उनमें से कुछ आज भी दृष्टिगोचर होती है। यहां पर आपकी बनवाई कुछ मूर्तियों का वर्णन किया जा रहा है । जालौर-जालौर जोधपुर से ८० मिल की दूरी पर मृकडी नदी के १ आपका जीवनचरित्र इस पत्रके अगले किसी अंक में प्रकाशित करने की भावना है। . x इस दुर्भिक्ष का रोमांचकारी वर्णन कवि समयसुन्दर ने जो उन्होंने आंखो देखा था एक प्रति में किया है। वह प्रति बाबु अगरचन्दजो नाहटा के संग्रह में है और उन्हीकी ओर से हाल ही में भारतीय विद्या' नामक त्रैमासिक पत्रिका, अङ्क २ में प्रकाशित हुइ है । For Private And Personal Use Only

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