Book Title: Jain Satyaprakash 1938 08 SrNo 37 38
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
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प्राचीन तिहास. *
શ્રમણ ભગવાન મહાવીરસ્વામીથી દેવદ્ધિગણિ માશ્રમણ સુધીના જૈન ઇતિહાસની, શ્રીમન્નાગપુરીય બહત્તપાગચ૭૫ટ્ટાવલીના આધારે લખેલી કી નેધ.
: म: આચાર્ય મહારાજ શ્રીસાગરચંદ્રસૂરિજી
वीरजिणे सिद्धिगो बारसवरिसेहिं गोयमो सिद्धो । तह वीराओ सुहम्मो वीसे वरिसेहि सिद्धिगओ ॥६॥ सिद्धिगए वीरजिणे चोसट्ठि वरिसेहिं जंबू नामुत्ति । केवलनाणे सम्मं बुच्छिन्ना दम इमे ठाणा ॥२॥ १मण २परमोहि ३पुलाए ४आहारग ५खवग ६उवसमे ७कप्पे। ८संजमतिग ९केवल १०सिद्धि जंबूमि वुच्छिन्ना ॥३॥ दसमपुवुच्छे ओ वयरे तह अद्धकीलिसंघयणा । पंचहि वाससपहिं चुलसी समयमहियमि ॥ ४ ॥ चउपुठवच्छेओ२ परिससओ सित्तरंमि अहियमि । भहबाहुम्मियजाओ वीरजिणंदे सिवं पत्ते ॥५॥ सिरिवीराओ गअसु पणतीसहिहिं तिसयवरिसेहिं । पढमो कालगसूरी जाओ सामुन्ज नामुत्ति ॥ ६ ॥ चउसय तिपन्नवरिसे कालिगगुरुणा सरस्सई गहिया । चउसय सत्तरि वरिसे वीराओ विक्कमो जाओ ॥ ७॥ पंचेवय वरिससओ सिद्धसेणो दिवायरो पयडो । सत्तसय वीस अहिले कालिगगुरु सक्कसंथुणिओ ॥ ८ ॥ पंचसु सअसु वरिसाण अइगसुं जिणाउ वीराउ । वहरी सोहम्गनिही (धी) सुनंदगब्भे समुप्पन्नो ॥९॥ रहवीरपुरे नयरे तह सिद्धिगयस्स वीरनाहस्स । छमय नवउत्तरिओ खमणा पासंडिया जाया ॥ १० ॥ नवसय तेणूएहिं समइक्कतेहिं बद्धमाणाओ । पज्जसणा चोत्थी कालिगसूरीहि तो ठविया ॥ १२ ॥ वल्लहिपुरंमि नयरे देवडिपमुहेण समणसंघेण । पुत्थो आगमलिहिया नवसय असीई तहा वीरे ॥ १२ ॥
१ वज्रात् अर्धकीलीका यावत् १ संहनन. २ अंत्य ४ अर्थतः ३ श्यामाचार्य, ४ द्वितीयेन गई भिल्लात् भगिनी गृहीता. ५ तृतीयः इंद्रेण स्तुतः ६ नामे दिगंबर.
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