Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 7
Author(s): Ambalal P Shah
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 258
________________ वर्तमानकालीन मराठी जैव साहित्यकार एवं उनकी रचनाएँ २४५ अनंतराज बोपलकर, सोलापुर ने पुराने मराठी साहित्य के एक प्रमुख कवि महतिसागर का जीवनचरित काव्यबद्ध किया था ( १९३४ ) । भूधरदास के पार्श्वपुराण का मराठी रूपान्तर भी इन्होंने पद्यबद्ध रूप में किया था ( १९३९ ) । विद्याकुमार देवीदास जैन ने भक्तामर आदि पांच स्तोत्र ( १९३५ ) तथा धनंजय की नाममाला ( १९३७ ) का मराठी रूपान्तर किया था । गोपाल बालाजी बीडकर ( उपनाम बालसुत ) ने अकलंक - निष्कलंक की पौराणिक कथा पर आधारित खरा स्वार्थत्याग ( १९३६ ) नाटक की रचना की थी । कुलभूषण - देशभूषणचरित ( १९३९ ) नामक इनकी काव्यबद्ध रचना भी पठनीय हैं । अमरावती के श्रीमान् नत्थूसा पासूसा कलमकर ने पुराने मराठी साहित्य की शैली में जैनव्रतकथासंग्रह ( १९३६ ) की रचना की थी । चौबीसतीर्थंकरपूजा इनकी दूसरी पद्यबद्ध रचना है । कालचन्द्र जिनचन्द्र उपाध्याय ने आचार्य माणिक्यनन्दि के परीक्षामुख का मराठी रूपान्तर तैयार किया था ( १९३७ ) । इनकी दूसरी बृहद् रचना जैनेन्द्रव्रतकथासंग्रह ( १८५४ ) में जैन समाज में प्रचलित प्रायः सभी व्रतों की विधि और कथाएँ उपलब्ध होती हैं । प्रियंकर शिरढोणकर ने सांगली की वीर ग्रन्थमाला से कर्णाटक जैन कविकुल (१९४१) तथा प्राचीन जैनाचार्य (१९४२) नामक पुस्तकें प्रकाशित की थीं। लातूर के मट्टारक विशालकीर्ति द्वारा रचित पूजा स्तुति, आरती तथा स्फुट कविताओं का संग्रह भावांकुर ( १९४८ ) ललित शब्दरचना की दृष्टि से पठनीय हैं । मुनि श्री चौथमल जी के निर्ग्रन्थ प्रवचन का मराठी रूपान्तर श्री प्रतापमलकोचर ने प्रस्तुत किया था ( १९५४ ) तथा कीर्तिविजय जी द्वारा मराठी में पान्तरित बार्हतधर्मप्रकाश ( १९५५ ) बम्बई से प्रकाशित हुआ था । जयकुमार आलंदकर ने जीवन्धर की पुरातन कथा का आधुनिक सरल रूपान्तर प्रस्तुत किया (१९५६ ) तथा पण्डित कैलाशचन्द्र जी के भगवान् ऋषभदेव का अनुवाद भी किया ( १९५८ ) । पण्डित काशावर के सागारधर्मामृत का विशद् मराठी विवेचन रबीन्द्रकुमार नांदगांवकर ने प्रस्तुत किया ( १९५७ ) । आर्थिका राजुलमती का जीवनचरित विद्युल्लता शहा ने लिखा था( १९५७ ) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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