Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 7
Author(s): Ambalal P Shah
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 278
________________ पृष्ठ ७ ११ १३ १५ D7 १७ १८ १९ १९ २० २३ २७ २८ २९ ३६ ३७ 97 ४० ४१ ४६ 17 " Jain Education International पंक्ति २० २९ om P १८ ३० १ १८ ६ १२ १७ १७ १८ १२ २२ ११ २७ २७ ९ १७ २९ R १० १३ २७ शुद्धिपत्रक अशुद्ध सुनि अक्षरगीति का से बोर मान्यरोंट बना साहसा अवश्यक रखती दुष्टचतुष्टय कण अन्तिमब्बे को 市 यहाँ की हैं ये विद्याध्यययन के से शत्रु भी की इसके के ये नरसिंहाचार For Private & Personal Use Only शुद्ध सम्यक् अक्षरगीतिका में और मान्यखेट बता सहसा अवश्य रखता दुष्टचतुष्टय कर्ण अत्तिमम्बे का की इसकी हैं । ये विद्याध्ययन का में शत्रुघ्न की 安在 इसकी से थे नरसिंहाचार्य www.jainelibrary.org

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