Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 7
Author(s): Ambalal P Shah
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 281
________________ अशुद्ध तिरुवळळकुवर वाचकशब्द ะ , * * शुद्ध तिरुवळ्ळुवर वाचक शब्द १३५ १३७ १४२ देश आचारण देश के आचरण ૧૪૧ * १५१ था १५३ १५६ मधुरै शिलाप्पधिकारम् उनसे मदुरै शिलप्पधिकारम् उनके १५८ थों * * * * * * * * थी शिलप्पाधिकारम् वृहत्कथा शिलप्पधिकारम् बृहत्कथा गयी गया १६४ १६५ मृत समवशरण अनरूप कहाकाव्य उसे संक्षिप्त तन्द्रामुक्त मृतपुत्र समवसरण अनुरूप महाकाव्य उस संक्षेप तन्द्रायुक्त १७२ १७३ १७४ * * * * * * * * * * * * ง १७५ १७८ सन्निध्य शिलप्पाधिकारम् भोज-तैयार प्रबंध), तिरुनावुक्करशर पाट्टियल् सान्निध्य शिलप्पधिकारम् भोज तैयार प्रबंध तिरुनावुक्करशद् पाट्टियल १८० १८२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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