Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 7
Author(s): Ambalal P Shah
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 282
________________ पृष्ठ १८३ " १८४ १८६ १८८ १८९ १९६ १९८ २०१ २०३ २०४ २१९ २२० २२४ २३७ २३८ Jain Education International पंक्ति 17 २२ १७ १३ ९ २२ २६ * १६ २९ १९ १२ १९ १८ ૪ २८ ( ५ ) अशुद्ध राजाश्रित थे । चक्रवर्ति पूर्व प्रचलित अनुशीलन दसर्वे शतीं 7 देते हैं अपभ्रश रचनाअ ९८५० राण अपूर्ण मदिर दिय दा O For Private & Personal Use Only शुद्ध राज्याश्रित थे : चक्रवर्ती पूर्व प्रचलित अनुशीलन दसवें शती देता है अपभ्रंश रचनाओं, १८५० पुराण अपूर्ण मंदिर दिये दो www.jainelibrary.org

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