Book Title: Jain Ramayan
Author(s): Vishnuprasad Vaishnav
Publisher: Shanti Prakashan

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Page 14
________________ 1 जैन रामकाव्य परंपरा प्राचीन जैन साहित्य में रामकथा के सूत्र एवं विकास जैन रामकथा परंपरा : " रामकथा का मूल स्रोत क्या है तथा यह कथा कितनी पुरानी है, इन प्रश्नों का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। इतना सत्य है कि बुद्ध और महावीर के समय जनता में राम के प्रति अत्यंत आदर का भाव था, जिसका प्रमाण यह है कि जातकों के अनुसार बुद्ध अपने पूर्वजन्म में एक बार राम होकर भी जन्मे थे। इसी प्रकार जैनग्रंथों में तिरसठ महापुरुषों में राम और लक्ष्मण की भी गिनती की जाती है ।"" 1 दिनकर के उपर्युक्त शब्द यह साबित करते हैं कि जैन धर्मान्तर्गत रामकथा को महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है । तिरसठ महापुरुषों मैं से "राम" भी एक है। आदि कवि वाल्मीकि ने जिस रामायण कथा को जगत के समक्ष प्रस्तुत किया था उसके प्रभाव से कोई धर्म या संस्कृति बच न सकी। सभी धर्मों की साहित्यिक कृतियों में रामकथा को शीर्षस्थान मिला है। आश्चर्य है कि इस्लाम के कवि अनुयायिओं ने भी रामकथा पर छुटपुट रचनाएँ लिखी हैं डॉ. विजयेन्द्र स्नातक ने डॉ. शुक्ल के शोध ग्रंथ की सम्मति में लिखा है - " भारतीय बाङमय में रामकथा से अधिक व्यापक दूसरी कोई कथा नहीं है। रामायण को उपजीव्य बनाकर संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, हिन्दी तथा अन्य भारतीय (क्षेत्रीय भाषाओं में अनेक काव्य, नाटक आदि लिखे गये हैं। जिन धर्मों में राम को अवतार नहीं माना गया और ईश्वर का स्थान नहीं दिया गया उनमें भी रामकथा के आधार पर काव्यादि का प्रणयन हुआ । 13

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