Book Title: Jain Ramayan
Author(s): Vishnuprasad Vaishnav
Publisher: Shanti Prakashan

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Page 13
________________ 5 त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित पर्व-7 (जैन रामायण )का काव्य सौष्ठव 131-187 रस व्यंजन/131 छंद विधान/139 अलंकार विधान/142 वर्णन कौशल/147 भाषा/155 संवाद/159 काव्य-रूप/163 सूक्तियाँ/169 संदर्भ-सूची/172 6 त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित पर्व-7 (जैन रामायण) की नवीन उद्भावनाएँ 188-206 रावण के जन्म से लेकर यौवनवय तक के अनेक प्रसंग/189 हनुमान की माता अंजना का भावपूर्ण चित्रण/189 हनुमान का हजारों कन्याओं से विवाह एवं रतिक्रिडा-चित्रण/191 राम के पूर्वजों का भव्य इतिहास/192 दशरथ की मगध-विजय/194 राम-वनवास के नव्य प्रसंग/194 राम का ससैन्य, सेतु निर्माण कर नहीं, आकाशमार्ग से लंका गमन/196 लक्ष्मण को मेघनाद ने नहीं, स्वयं रावण ने मूर्छित किया/196 लक्ष्मण की मूर्छा, हनुमान द्वारा संजीवनी लाने से नहीं, विशल्या के जल स्पर्श से दूर हुई/196 रावण का वध राम ने नहीं लक्ष्मण ने किया/196 राम का सीता समेत रावण के महलों में छः माह तक निवास करना/197 अयोध्या आगमन पर प्रथम लक्ष्मण का राज्याभिषेक/197 लक्ष्मण की सोलह हजार तथा राम की भी अनेक रानियों का होना/198 सीता का स्वयं के हाथों केश उखाड़ कर जैन धर्म में दीक्षित होना/198 रामकथा के समस्त पात्रों का जैनधर्म में दीक्षित होना/199 संदर्भ-सूची/200 7 उपसंहार 207-213 संदर्भ-ग्रंथ-सूची/212 12

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