Book Title: Jain Purano ka Sanskrutik Aavdan
Author(s): Pravinchandra Jain, Darbarilal Kothiya, Kasturchand Suman
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan
View full book text ________________
परिशिष्ट
१७५
१७५
१८८
१०५
क्र० सं० नाम श्लोक सं० ० सं० नाम "७३३. विभय
१२४ ७७४. विश्वसृट् ७३४. विभव ११७, १२४ ७७५. विश्वात्मा ७३५. विभावसु
११० ७७६. विश्वासी ७३६. विभु
१०२ ७७७. विश्वेट ७३७. विमुक्तात्मा १८६ ७७८. विश्वेश ७३८. वियोग
१२५ ७७९. विष्टरबवा ७३९. विरजा
११२ ७८०. विहितान्तक ७४०. विरत
१२४ ७८१. वीकल्मष ७४१. विराग
१२४ ७८२. वीतभी ७४२. विलीनाशेषकल्मष . १२५ ७८३. वीत्मत्सर ७४३. विविक्त
१२४ ७८४. वीतराग ७४४. विवेद
१४६ ७८५. वीर ७४५. विशाल
१४० ७८६. वृष ७४६. विशिष्ट
१७२ ७८७. वृषकेतु ७४७. विशोक
१२४ ७८८. वृषपति ७४८. विश्रुत
१२० ७८९. वृषभ ७४९, विश्वकर्मा
१०३ ७९.. वृषभध्वज ७५०. विश्वजित् १२३ ७९१. वृषभांक ७५१. विश्वज्योति १०३ ७९२. वृषाधीश ७५२. विश्वतश्चक्षु
१०१ ७९३. वृषायुध '७५३. विश्वतःपाद १२० ७९४. वृषोद्भव ७५४. विश्वतोमुख १०२ ७९५. वेदवित् ७५५. विश्वदृक्
१०३ ७९६. वेदवेद्य ७५६. विश्वदृश्वा १०२ ७९७. वेदांग ७५७. विश्वनायक १२३ ७९८. वेद्य ७५८. विश्वभाववित् २१० ७९९. वेषा ७५९. विश्वभुक १२३ ८००. वैकृतान्तकृत् ७६०. विश्वभू
१०० ८०१. व्यक्त ७६१. विश्वभूतेश १०३ ८०२. व्यक्तवाक् ७६२. विश्वभुट
१२३ ८०३. व्यक्तशासन ७६३. विश्वमूर्ति १०३ ८०४. व्योममूर्ति ७६४. विश्वयोनि १०१ ८०५. शंकर ७६५. विश्वरीश १०४ ८०६. शंवद् ७६६. विश्वरूपात्मा १२३ ८०७. शंवान् ७६७. विश्वलोकेश १०१ ८०८. शक्त ७६८. विश्वलोचन १०२ ८०९. शत्रुघ्न ७६९. विश्वविद्
१०१ ८१०. शमात्मा '७७०. विश्वविद्यामहेश्वर १२१ ८११. शमी ३७१. विश्वविद्यश १०१ ८१२. शम्भव ७७२. विश्वव्यापी १०२ ८१३. शम्भु ७७३. विश्वशीर्ष १२० ८१४. शरण्य
जैन पुराणकोश : २३ श्लोक सं० ० सं० नाम श्लोक सं० ० सं० नाम इलोक सं०
१२३ ८१५. शीतकुम्भनिभप्रभ १९९८५६. सत्यवाक १०१ ८१६. शान्त
१३८ ८५७. सत्यविज्ञान १२३ ८१७. शान्तारि २१६ ८५८. सत्यशासन
१७५ १२३ ८१८. शान्ति
२०२ ८५९. सत्यसन्धान १७५ १०२ ८१९. शान्तिकृत २०२ ८६०. सत्यात्मा
१७५ १६४ ८२०. शान्तिद् २०२ ८६१. सत्याशी
१७५ १४१ ८२१. शान्तिनिष्ठ २०२ ८६२. सदागति
१७७ १३८ ८२२. शान्तिभाक् १२६ ८६३. सदातृप्त
१७७ २११ ८२३. शाश्वत्
१०२ ८६४. सदाभावी १२४ ८२४. शासिता २०१ ८६५ सदाभोग
१७७ १८५ ८२५. शास्ता
११५ ८६६. सदायोग १७७ १२४ ८२६. शिव १०५ ८६७. सदाविद्य
१७७ ११६ ८२७. शिवताति २०२ ८६८. सदाशिव
१७७ ११६ ८२८. शिवप्रद २०२ ८६९. सदासौख्य
१७७ ११६ ८२९. शिष्ट १७२ ८७०. सदोदय
१७७ १००,१४३ ८३०. शिष्टभुक
१७२ ८७१. सद्योजात
१९६ ११६ ८३१. शिष्टेष्ट
२०१ ८७२. सनातन ११६ ८३२. शीलसागर
२०५ ८७३. सन्ध्याभ्रबभ्रु १९८ ११६ ८३३. शुचि । ११२ ८७४. समग्रधी
१५० ११६ ८३४. शुचित्रवा
१२० ८७५. समन्तभद्र १०८, २१२ ८७६. समयज्ञ २१७ ८७७. समाहित
१८४ १४६ ८३७. शुभलक्षण
१४४ ८७६. समुन्मीलितकारि २१४
१६० ८७९. सर्वक्लेशापह १४६ ८३९ शेमुषोश १७९ ८८०. सर्वग
१९५ १०२ ८४०. श्रायसोक्ति २०९ ८८१. सर्वज्ञ
११९ १६८ ८४१. श्रीगर्भ
११८ ८८१. सर्वत्रग १४७ ८४२. श्रीनिवास
१७४ ८८३. सर्वदर्शन १४७ ८४३. श्रोपति ११२ ८८४. सर्वदिक्
११९ १४७ ८४४. श्रीमान्
१०० ८८५. सर्वदोषहर १२८ ८४५. श्रोवृक्षलक्षण १४४ ८८६. सर्वयोगीश्वर १६४ १८९ ८४६. श्रीश
२११ ८८७. सर्वलोकजित १८९ ८४७. श्रीश्रितपादाब्ज २११ ८८८. सर्वलोकातिग २०६ ८४८. श्रुतात्मा
१६४ ८८९ सर्वलोकेश ११९ ११३ ८४९. श्रेयान्
२०९ ८९०. सर्वलोकैकसारथि २०१ ८५०. श्रेयोनिधि २०३ ८९१. सर्ववित्
११९ १६३ ८५१. श्रेष्ठ १२२ ८९२. सर्वात्मा
११९ १६१ ८५२. श्लक्ष्ण
१४४ ८९३. सर्वादि १०० ८५३. सत्य
१७५ ८९४. सलिलात्मक १२६ १०० ८५४. सत्यकृत्य १३० ८९५. सहस्रपात
१२१. १३६ ८५५. सत्यपरायण १७५ ८९६. सहस्रशीर्ष
११६ ८३५. शुद्ध १४६ ८३६. शुभंयु
२१६ १८४
१४६ ८३८. शूर
१८८ ११९
११९
१९१
१९१
११९
१२१
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64