Book Title: Jain Purano ka Sanskrutik Aavdan
Author(s): Pravinchandra Jain, Darbarilal Kothiya, Kasturchand Suman
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan

View full book text
Previous | Next

Page 37
________________ २८ चैन पुराणकोश परिशिष्ट १९१. शलभ vvvv १६५. २०३. सनर्त २०७. क० सं० माम देश महिष मागध १५७. माणव १५८. मानवार्तिक १५९. मालव १६.. माल्य माहिषक १६२. माहेभ १६३. मूलक १६४. मृगावती मेभला मेघपाद १६७. मोक १६८. यमन १६९. यवन १७०. रम्यक १७१. राष्ट्रवर्धन १७२. १७२. लम्पाक १७४. लाट १७५. १७६. वजखंडिक १७७. वत्स १७८. वनवास १७९. ववर १८०. वाटवान् १८१. वाण १८२. वानायुज २८३. वापि १८४. वाल्हीक १८५. विदर्भ १८६. विदेह १८७. विनिहात्र १८८. विन्ध्य १८९. विराट १९०. रोधन सन्दर्भ क्रमांक नाम देश मपु० २९.८० वैदर्भ मपु० २९.३९ १९२. वैदिश (विदिशा) मपु० ११.६९ १९३. वैद्य हपु० ११.६८ १९४. शक मपु० १६.१५३ १९५० शकट हपु० ११.७१ १९६. शर्वर हपु० ११.७० १९७. हपु० ११.७२ १९८. शिखापद हपु० ११.७०-७१ १९९. मपु० ७१.२९१ २००. शूरसेन पपु० १०१.८३ २०१. शौर्य पापु० १.१३३ २०२. सक्कापिर हपु० ११.६५ हपु० ५०.७३ २०४. समुद्रक मपु० १६.१५५ २०५. सारसमुच्चय मपु० १६.१५२ २०६. सारस्वत हपु० ५०.७० साल्व पपु० ६.६७-६८ १०८. सिन्धु पपु० १०१.७०-७५ सुकोशल मपु० ३०.९७ २१०. सुभोटक मपु० १६.१६२ २११. सुरम्य हपु० ११.७५ २१२. सुराष्ट्र मपु० १६.१५३ २१३. सुवीर मपु० १६.१५४ २१४. सुसीमा पपु० १०१.८२-८६ २१५. सुह्म हपु० ३.६ सुह्य मपु०७०.१०७ २१७. सूर मपु० ३०.१०७ २१८. मपु० ३०.१०७ २१९. मपु० १६.१५६ सूर्यारक मपु० १६.१५३ २२१. सैतव मपु०१६.१५५ २२२. सौराष्ट्र हपु० ११.७४-७६ २२३. सौवीर पपु० १०१.८३-८६ २२४. हरिवर्ष पपु० १.१३४ २२५. हिण्डिव हपु० ३.४ . २२६. हेमांगद द्वीप और सागर सन्दर्भ हपु० ५.२-११ १. लवणसमुद्र हपु० ५.४८९-५६१ २. कालोदधिसागर हपु० ५.५७६-५८९ ३. पुष्करवर सन्दर्भ हपु० ११.६९ हपु० ११.७४ पपु० १०१.८२ मपु० १६.१५६ हपु० २७.२० पपु० १०१.८१ पपु० १०१-७७ पपु० १०१-८३ हपु०११.६६-६७ मपु० १६.१५५ मपु० ७१.२०१-२०२ हपु०११.६९-७६ पपु० १०१.८३ मपु० १६.१५२ मपु० ६८.३-४ हपु०११.७२ हपु० ११.६५ मपु०१६.१५५ मपु०१६.१५३ पापु० १.१३३-१३४ मपु० ६२.८९ मपु० १६.१५४ पपु० ३७.८, २३-२५ मपु० ४७.६५-६७ मपु० १६.१५२ पपु० १०१.४३ हपु० ३.५ हपु० ३.४ हपु० ११.७१, ७६ पपु०१०१.८३ हपु० ११.७५ मपु०३०.९८ मपु० १६.१५५ मपु० ७०.७४-७५ पपु० १०१.८२ मपु० ७५.१८८ . बंग ~ ~ ~ सूरसेन सूर २२०. वृकार्थक द्वोप सागर १. जम्बूद्वीप २. धातकीखण्ड ३. पुष्करवर सन्दर्भ हपु०५.४३०-४८८ हपु० ५.५६२-५७५ हपु० ५.६१३ Jain Education Interational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64