Book Title: Jain Purano ka Sanskrutik Aavdan
Author(s): Pravinchandra Jain, Darbarilal Kothiya, Kasturchand Suman
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan
View full book text ________________
परिशिष्ट
जैन पुराणकोश : ५१
शेमुषी
शावर
हपु०४६.९ शीतदा
मपु० ६२.३९८ शीतवेताली
मपु० ४७.५२-५४ शुभप्रदा
मपु० ७.३२७
पपु १०.१७ श्रीमत्कन्या
मपु० ६२.३९६ षडंगिका
मपु० ६२.३८६ संग्रहणी
मपु० ६२.३९४ संग्रामणी
मपु० ६२.३९३ संवाहिनी
पपु० ७.३२६-३३२ समावृष्टि
पपु० ७.३२८ सर्वकामानन्दा
पपु० ७.२६४-२६५ सर्वविद्याप्रकर्षिणी हपु० २२.६२ सर्वविद्याविराजिता हपु० २२.६४ सर्वार्थसिद्धा
हपु० २२.७०-७३ सर्वाहा
पपु० ७.३३३ सवर्णकारिणी
हपु०२२.७१-७२ सहस्रपर्वा
हपु० २२.६७-६९ सिंहवाहिनी
मपु० ६२.२५-३० सिद्धार्था
पपु० ७.३३४ सुरध्वंसी
पपु० ७.३२६ सुरेन्द्रजाल
मपु० ७२.११२-११५ सुविधाना
पपु० ७.३२७ स्तम्भिनी
पपु० ५२.६९-७०
हपु० २२.६३ विद्याधर-जाति-भेद विद्याधर जातियाँ सन्दर्भ गौरिक
हपु० २२.७७ मनु गान्धार मानव कौशिक भूमितुण्ड मूलवीर्यक
हपु० २२.७९ शंकुल पाण्डुकेय
हपु० २२.८० काल श्वपाकज मातंग
हपु० २२.८१ पार्वतेय वंशलालय गण
हपु० २२.८२
पांशुमूलिक
हपु० २२.८२ वार्थमूल
हपु० २२.८३ आर्य विद्यापर जातियाँगौरिक
हपु २६.६ गान्धार
हपु० २६.७ मानवपुत्रक
हपु० २६.८ मनुपुत्रक
हपु० २६.९ मूलवीर्य
हपु० २६.१० अन्तर्भू मिचर
हपु० २६.११ शंकुक
हपु० २६.१२ कौशिक
हपु० २६.१३ मातंग विद्याधर जातियाँमातंग
हपु० २६.१५ श्मशाननिलय
हपु० २६.१६ पाण्डुक
हपु० २६.१७ कालश्वपाकी
हपु० २६.१८ श्वपाकी
हपु० २६.१९ पार्वतेय
हपु० २६.२० वंशालय
हपु० २६.२१ वार्भमूलिक
हपु० २६.२२ विद्याष: बंश अकारादि क्रम में इस वंश के निम्न राजाओं के
नामोल्लेख मिलते हैंक्र० सं० नाम राजा
हपु० २२.१०७-१०८ अंशुमाल
मपु० ५९.२८८-२९१ अर्कचूड
पपु० ५.५३ अर्कतेज
मपु० ६२.४०८ अश्वधर्मा
पपु० ५.४८ अश्वायु
पपु० ५.४८ अश्वध्वज
पपु० ५.४८ आदित्यगति
मपु० ४६.१४५-१४६ इन्दुगति
पपु० २६.१३०, १४९
पपु० ५.५० उडुपालन
पपु० ५.५२ १२. एकचूड
पपु० ५.५३ १३. कनकपुंख
मपु०७४.२२२ कनकोज्ज्वल
मपु० ७४.२२१-२३२ १५. कालसंवर
मपु० ७२.४८-६० कुरुविन्द
मपु० ५.८९-९५ चन्द्र
पपु० ५.५०
हारी
सन्दर्भ
अंशुमान्
हपु० २२.७८
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 58 59 60 61 62 63 64