Book Title: Jain Purano ka Sanskrutik Aavdan
Author(s): Pravinchandra Jain, Darbarilal Kothiya, Kasturchand Suman
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan

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Page 54
________________ परिशिष्ट जैन पुराणकोश . ४५ क्र०सं० नाम राजा क०सं० नाम राजा सम्ब ७४. ७५. ११६. ७७. ११८. ११९. १२०. ७९. वसुन्धर वसुरथ वासव वासुकि विचित्र विचित्र विचित्रवीर्य विजय विदुर विश्व विश्वकेतु विश्वसेन विष्णु वीर्य onworoor Mor सुपम सुप्रतिष्ठ सुभौम सुमित्र सुवसु सुव्रत सुशान्ति सूर्य सूर्यघोष सोमप्रभ हरिघोष हरिध्वज हपु० ४५.२५ हपु० ४५.१२ हपु० ४५.२४ हपु० १८.१९ हपु० ४५.२६ हपु० ४५.११ हपु० ४५.३० हपु० ४५.२० हपु० ४५.१४ हपु० ४५.७ हपु० ४५.१४ हपु० ४५.१४ ८१. ८२. १२२. १२३. १२४. १२५. १२६. वृतरथ वृषध्वज वृषानन्त वैश्वानर व्रतधर्मा व्रात सन्दर्भ हपु० ४५.२६ हपु० ४५.२७ हपु० ४५ २६ हपु० ४५.२६ हपु० ४५.२७ हपु० ४५.२७ हपु० ४५.२७ हपु० ४५.१५ हपु० ४५.३४ हपु० ४५.१७ हपु० ४५.१७ हपु० ४५.१८ हपु० ४५.२४ हपु० ४५.२७ हपु० ४५.२८ हपु० ४५.२८ हपु० ४५.२८ हपु० ४५.१७ हपु० ४५.२९ हपु० ४५.११ हपु० ४५.३१ हपु० ४५.२९ हपु० ४५.३० हपु० ४५.१९ हपु०४५.१९ हपु० ४५.१८ हपु० ४५.३० हपु० ४५.१९ हपु०४५.३० हपु० ४५.९ हपु० ४५.१२ हपु० ४५.२६ हपु० ४५.२९ हपु० ४५.९ हपु० ४५.१६ हपु० ४५.३८ हपु० ४५.१७ हपु० ४५.२५ हपु० ४५.२३ हपु० ४५.१४ हपु० ४५.२१ ८. धातु शन्तनु ९७. शर शरद्वीप शशांकांक शान्तिचन्द्र शान्तिनाथ शान्तिभद्र शान्तिवर्धन शान्तिषेण शुभंकर श्रीचन्द्र १००. १०१. १०२. १०३. गान्धर्व-भेद-प्रभेद १. स्वरगत-गान्धर्व-भेव वैणस्वर मेव १. श्रुति २. वृत्ति ३. स्वर ४. ग्राम ५. वर्ण ६. अलंकार ७. मूर्च्छना ९. साधारण हपु० १९.१४७ शरीर स्वर-मेव १. जाति २. वर्ण ३. स्वर ४. ग्राम ५. स्थान ६. साधारणक्रिया ७. अलंकारविधि हपु० १९.१४८ २. पदगत-गान्धर्व-भेव १. जाति २. तद्धित ३. छन्द ४. सन्धि ५. स्वर ६. विभक्ति ७. सुबन्त ८. तिङ्न्त ९. उपसर्ग १०. वर्ण हपु० १९.१४९ ३. तालगत-गान्धर्व-भेद १. आवाप २. निष्काम ३. विक्षेप ४. प्रवेशन ५. शम्याताल ६. परावर्त ७. सन्नितपात ८. सवस्तुक ९. मात्रा १०. अविदार्य ११. अंग १२. लय १३. गति १४. प्रकरण १५. यति १६. गीति ( दो प्रकार की ) १७. मार्ग १८. अवयव १९. पादभाग २०. सपाणि हपु० १९.१५०-१५२ श्रीवसु श्रोव्रत श्रेयान् १०७. १०८. ११०. सनत्कुमार सहदेव सुकुमार सुकीर्ति सुचारु सतेजस ११२. ११३. ११४. सुदर्शन Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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