Book Title: Jain Purano ka Sanskrutik Aavdan
Author(s): Pravinchandra Jain, Darbarilal Kothiya, Kasturchand Suman
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan

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Page 51
________________ ४२ : जैन पुराणकोश परिशिष्ट ६१. १८. २०. २१. क्र० सं० नाम अस्त्र-शस्त्र १५. पाप बन्धन बर्हणास्त्र ब्रह्मशिरस् भास्करास्त्र भिण्डिमाल भृकुण्डी २२. भूतमुखखेट मनोवेग महाश्वसन माहेन्द्र मुद्गर मुसेल मोक्षण मोहन यमदण्ड राक्षस - रौद्रास्त्र २३. क० सं० नाग बन सन्दर्भ सल्लकी मपु० ५९.१९७ सहस्राम्र हपु० ४३.२००-२०२ ६०. सहायवन पापु० १७.७३-७४ सहेतुक मपु० ४८.३८-३९ सह्य मपु० ३०.२७ ६३. सालकानन मपु० १२.२२१ सिंहगिरि मपु० ७४.१६९ ६५. सिद्धार्थ मपु० १७.४१७ सिद्धि मपु०४८.७९ ६७. सुरनिपात मपु० ६३.१२७-१२९ बारह विभंग नदियां १. हृदा ग्राहवती २. हृदवती ३. पंकवती ४. तप्तजला ५. मत्तजला ६. उन्मत्तजला ७. क्षीरोदा ८. शीतोदा ९. स्रोतोऽन्तर्वाहिनी १०. गन्धमालिनी/गन्धमादिनी ११. फेनमालिनी १२. ऊमिमालिनी मपु० ६३.२०६-२०७, हपु० ५.२३९-२४३ सोलह सरोवर १. पद्म २. महापद्म ३. तिगिच्छ ४. केसरी ५. महापुण्डरीक ६. पुण्डरीक ७. निषध ८. देवकुरु ९. सूर्य १०. सुलस ११. विद्युत्प्रभ १२. नोलवान १३. उत्तरकुरु १४. चन्द्र १५. ऐरावत १५. माल्यवान मपु० ६३.१९७-१९९, हपु० ५.१२१ २४. २७. २८. २९, ३२. ३३. लकुट सन्दर्भ पपु० ७४.१०४ हपु० २५.४८ पपु० ७४.११०-१११ मपु० ५२.५५ हपु० ५२.५५ पपु० ७.९५-९६ पपु० १२.२५८ मपु० ३७.१६८ मपु० ३७.१६६ हपु० ५२.५० पपु० ७४.१००-१०१ मपु०४४.१४३ पपु० १२.२५७ हपु० २५.४८ हपु० २५.४८ हपु० २५.४८ हपु० ५२.५४ हपु० ३१.१२२-१२३ मपु० ३.१०५ पपु० १२.२५८ पपु०५४.३७ हपु० २५.४७-५० मपु० १.४३ मपु० ८.२३८ मपु० २९.६९ पपु० ६०.१३८ पपु० ७४.१११ हपु० २५.४९ हपु० ५.५८८ हपु० ५२.५३ मपु० ३१.७२ हपु० २५.४९-५० मपु० ४४.२२७ पपु० १९.४२-४३ पपु० ५८.३४ पपु० १२.२५८ हपु० ५२.५० हपु० २५.४६-४९ पपु० ७४.१०८ पपु० ७५.१८-१९ पपु०६०.१४० ३७. ३८. ३९. ४२. अस्त्र-शस्त्र ० सं० नाम अस्त्र-शस्त्र अंलिप आग्नेयास्त्र आष्टि इन्धन ऐशान कनक लांगल लांगूल लोकोत्सादन वन वनदण्ड वातपृष्ठ वारुण विघ्नविनायक विशल्यकरण वृत्तवताड्य वैरोचन व्यस्त्र व्रतसंरोहण शक्ति शतघ्नी शिलीमुख शल संवर्तक सर्वास्त्रच्छादन सहस्रकिरण सिद्धार्थ ४७. संदर्भ पपु० १२.२५७ पपु० १२.३२२-३२४ पपु० ६२.४५ पपु०७४.१०५ हपु० २५.४८ पपु० १२.२११ मपु० १०.५९ पपु० १२.३३२-३३६ पपु० १२.२५८ पपु० ६४.२७ हपु० २५.४८ पपु०७४.१०८-१०९ पपु० १२.३३२ हपु० ५२.५४ क्रकच ४८. ४९. '१०. गरुडास्त्र धन चण्डरवा जम्भण दन्दशूक नागास्त्र नारायण ५२. १३. ५४. Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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