Book Title: Jain Purano ka Sanskrutik Aavdan
Author(s): Pravinchandra Jain, Darbarilal Kothiya, Kasturchand Suman
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan

View full book text
Previous | Next

Page 36
________________ परिशिष्ट जैन पुरागकोश : २७ सन्दर्भ क० सं० नाम देश ७३. कैकय ७४. कोंकण कोसल कोहर कोबेर क्वाथतोय क्र० सं० नाम वेश ११४. धवल ११५. नन्दन ११६. नन्दि ११७. नर्मद ११८. नवराष्ट्र ११९. नासारिक १२०. नेपात १२१. नैषध १२२. पंचाल १२३. पल्लव १२४. पाण्ड्य १२५. पारशैल १२६. पुण्डरीक क्षेम १२७. सन्दर्भ मपु० ६७.१५६-२५७ पपु०१०१.७७ पपु० १०१.७७ हपु०११.७२ हपु० ११.७० हपु० ११.७२ पपु० १०१.८१ हपु० ११.७३ मपु० १६.१४८ मपु० १६.१४१-१४८ मपु० २९.८० पपु० १०१.८२-८६ पपु० ६४.५० मपु० १६.१४३-१५२ हपु. ११.६९-७१ हपु० ३.६ मपु० २९.७९ हपु० ११.६७ हपु० ११.६९ मपु० १६.१४८-१५६ पपु० १०१.७९-८६ हपु० ११.७५ मपु०४८.१२७ हपु० ११.७५ खड्ग खतिलक गन्धमालिनी गन्धा गन्धावत्सुगन्धा गन्धिल गवोधुमत् गान्धारगौड गौरी गौशोल चारु चिलात चेदि चोल जालन्धर पुण्ड मपु० १६.१४१-१४८ मपु० १६.१४१-१४८ पपु० १०१.८४-८६ पपु० १०१.८४-८६ हपु० ११.६६ मपु०७५.४०२ मपु० ६३.२१३ पपु० ५५.२९ मपु० ५९.१०९ मपृ. ६३.२०८-२१७ मपु० ६३.२१२ मपृ० ५.२३० पपु० २८.२१९ पपु० ९४.७ मपु० २९.४१ मपु० ४६.१४५ पपु० १०१.८२-८६ पपु० १०१.८१ मपु० ३२.४६-४७ मपु० १६.१४१-१४८ मपृ० १६१५४ पपु० १५.६३ हपु० २१.१०३ हपु० ११.७१-७३ हपु० ३.६ हपु० ११.६७ मपु० १६.१५६ हपु०११.६४ मपु० २०.१०७ पपु० ६.६६-६८ मपु. २९.७९ १२८. १२९. १३०. १३१. १३२, १३३. १३४. पुरुष प्रच्छाल प्रातर प्रास्थाल बाणमुक्त बाल्हीक बृषाण १३५. भंग १३६. टंकर्ण १३७. १३८. तापस तानं १३९. पपु० ६.६६ तीर्णकर्ण १४०. १४१. १००. १०२. १४२. १०३. १०४ १४४. भगलि भद्र भद्रकार भरक्षम भरद्वाज भरुकच्छ भारद्वाज भावकुन्तुले भीम भीरू भूतरव मंगल मगध मत्स्य मद मद्रक मद्रकार मलय महाराष्ट्र महिम १४५. १०५. १०६. तुलिंग तैतिल तोयावली त्रिकलिंग त्रिगत त्रिजट त्रिपुर त्रिशिरिस् दशार्ण दशरुक दाण्डीक १४६. १४७. १४८. १०७. १०८. Norworror हपु० ११.७२ हपु० ११.६७ पपु०१०१.७७-७८ पपु० १०१.७७ पपु० १०१.८१ पपु० १०१.७७ मपु०७१.२७८ मपु० ५७.७० हपु० ३.४ मपु० २५.२८७ हपु० ११.६६-७७ हपु० ११.६४-६५ पपु० ५५.२८ मपु० १६.१५४ हपु० ११.७२ १४९. पपु०१०१.८१ हपु० ११.७३ पपु०१०१.८२ मपु० १६.१५३ हपु० ११.६७ हपु० ११.७० मपु०१६.१५५ हपु० ११.७१ . ११.. १५.. १५१. १५२. दारु ११२. ११३. १५३. १५४. Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64