________________
तीनों खण्डों की विषयवस्तु का परिचय
D संकेताक्षर - विवरण
अन्तस्तत्त्व
द्वितीय खण्ड
कुन्दकुन्द का समय
षट्खण्डागम एवं कसायपाहुड की कर्तृपरम्परा
अष्टम अध्याय
कुन्दकुन्द के प्रथमतः भट्टारक होने की कथा मनगढन्त
प्रथम प्रकरण - भट्टारक होने की कल्पना का हेतु
द्वितीय प्रकरण - कुन्दकुन्द को भट्टारक सिद्ध करने के लिए प्रस्तुत हेतु
१. भट्टारकपरम्परा के विकास के तीन रूपों की कल्पना नन्दिसंघ की पट्टावली के आचार्यों की नामावली
O
२. इण्डियन ऐण्टिक्वेरी - पट्टावली का मूल अँगरेजीपाठ
२.१. प्रो. हार्नले द्वारा सम्पादित नन्दिसंघ की तालिकाबद्ध पट्टावली १४ २.२. . स्तम्भों (कालमों) में प्रयुक्त संकेताक्षरों का अभिप्राय
१८
. २.३. आ. हस्तीमल जी - उद्धृत पट्टावली में इण्डि. ऐण्टि. - पट्टावली से कुछ भिन्नता
३. इण्डियन ऐण्टिक्वेरी - पट्टावली की आधारभूत पट्टावलियाँ नन्दिसंघ की प्राकृत - पट्टावली
O
वीरनिर्वाण के पश्चात् आचार्यों का पट्टकाल
O
Jain Education International
पृष्ठाङ्क
पच्चीस
इकतालीस
For Personal & Private Use Only
m 5
५
७
१२
x
2 2 2 2
१८
२२
२५
२५
www.jainelibrary.org