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[दस]
जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड २ ६. जिनशासन में मिलावट को रोकना आवश्यक
१४८ विस्तृत सन्दर्भ
१५२ १. नन्दिसंघ की प्राकृत पट्टावली
१५२ २. प्रो. हार्नले द्वारा सम्पादित नन्दिसंघ की पट्टावली का शेष अंश
१५७ ३. प्रथम शुभचन्द्रकृत नन्दिसंघ की गुर्वावली
१६८ ४. श्रवणबेलगोल-महानवमी मण्डप के एक स्तम्भ पर उत्कीर्ण
नन्दिसंघ की पट्टावली
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नवम अध्याय
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गुरुनाम तथा कुन्दकुन्दनाम-अनुल्लेख के कारण १. गुरुनाम-अनुल्लेख का कारण २. कुन्दकुन्दनाम-अनुल्लेख का कारण
२.१. आचार्य हस्तीमल जी के मत का निरसन २.२. प्रो० एम० ए० ढाकी के मत का निरसन २.३. प्रेमी जी के मत का निरसन २.४. नाम-अनुल्लेख का कारण : नाम से अनभिज्ञता
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दशम अध्याय
आचार्य कुन्दकुन्द का समय प्रथम प्रकरण-ईसापूर्वोत्तर प्रथम शताब्दी में होने के प्रमाण
१. इण्डि० ऐण्टि०- पट्टावली के अनुसार ईसापूर्वोत्तर प्रथम शती २. प्र० श० ई० की भगवती-आराधना में कुन्दकुन्द की गाथाएँ
२.१. भगवती-आराधना का रचनाकाल २.२. भगवती-आराधना में कुन्दकुन्द की गाथाओं के उदाहरण
२.३. कुन्दकुन्द के ग्रन्थों में भगवती-आराधना की गाथाएँ नहीं ३. प्र० श० ई० के मूलाचार में कुन्दकुन्द की गाथाएँ
३.१. मूलाचार का रचनाकाल प्रथम शताब्दी ई० ३.२. प्र०-द्वि० श० ई० के तत्त्वार्थसूत्र में मूलाचार का अनुकरण ३.३. मूलाचार में तत्त्वार्थसूत्र का अनुकरण नहीं
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