Book Title: Jain Nibandh Ratnavali 02
Author(s): Milapchand Katariya
Publisher: Bharatiya Digambar Jain Sahitya

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Page 12
________________ पृष्ठ १५१ १५५ १६६ १७३ नाम पूर्व प्रकाशन १३ क्या चन्द्र सूर्य का माप छोटे योजनो से है ? ("वीरवाणी" १ दिसम्बर ६) १४ आर्यिकाओ का केशलोच ("सन्मति सदेश" मार्च ३७) १५. जैनधर्म मे नागतर्पण ( 'सन्मति सदेश" मई ६८) १६ प्रतिष्ठा तिलक कार नेमिचन्द्र का समय ("अनेकांत" अप्रेल ६८) १७ जिनवाणी को भ्रमात्मक लेखन से बचाइये ("दि० जैन" विशेषाक वि स १६८५ वर्ष २२) १८ प० आशाधरजी का विचित्र विवेचन (दि. जैन" विशेषाक स. १६८७ वर्ष २४) १६ समाधिमरण के अवसर पर मुनि-दीक्षा ("महावीर जयती स्मारिका" सन् ६६) २०. कातत्र व्याकरण के निर्माता कौन है ? ("जैन सिद्धात भास्कर" स १६६३) २१ भगवान् महावीर तथा अन्यतीर्थंकरो के वश ("सन्मतिवाणी" मई ७१) ६२ दि० परम्परा मे श्रावक धर्म का स्वरूप (जिनवाणी" मार्च ७०) २३. १० टोडरमलजी का जन्म काल तथा उनकी एक और साहित्यिक रचना ("सन्मति सदेश" दिसम्बर ६८) २४ क्या पउमचरिय दि० ग्रन्थ है ? ("दि० जन" विशेषाक स १६८८ वर्ष २५) २५ प्रतिष्ठाचार्यो के लिए विचारणीय विषय मोक्षकल्याणक ("सन्मति सदेश" अप्रेल ७०) २०२ २१३ २२० २२६ २५३ २८४

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