Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 07
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 503
________________ पृथ्वीचं अने गुणसागरनुं चरित्र. तेउनां सर्व संगां संबंधी मव्यां. वली ते लग्न महोत्सवमा अनेक प्रकारनी रसोइयो बनावी तेथी सङ को जमवा लाग्यां, तथा मनोहर एवां तूर्य वगेरे वाजितना नादरूप गर्जनायें युक्त, त्यां एकती थयेली स्त्रीयोयें पहेरेला हिरा जडित बाजरणोना जबकारारूप विजलीवालो, मनोहर सुंगधश्व्ययुक्त जे ज लतेनां बांटणारूप वृष्टियें करी पंकोजम जेमा थयो ने एवो जाणे नविन में घजाव्यो होय नहिं? तेवु लागवा मामयु.आवी रीतें महामहोत्सव वर्ता वाथी गाममां माणासोने याववा जवानो रस्तो पण बंध थइ गयो. हवे एम करतां ज्यारें लगनो समय थयो, त्यारे ते गुणसागरने स्नान करावी, मनोहर अलंकार वस्त्रो पहेरावी, वरघोडे चडाव्या. अने पडी ते वरघोडे चडीने चाल्या. त्यारे त्यां अनेक वाजित्रो वागवा लाग्यां. अने सुवासिनी स्त्रीयो, मंगलगीत गावा लागीयो,अने मृताथी नगारां निशान पण वागवा लाग्यां. मागध, बंदी, चारण, जाट ते सर्व गंचे स्वरें तेना गुणगणनुं वर्णन करवा लाग्या तथा स्तुति अने आशीर्वाद देवा लाग्या.अने ते हर्षोत्कर्षथी सिंहनी समान नाद करवा लाग्या. त्यारे ते मागधादि अने याचकलोकोने राजायें सन्मानपूर्वक घणुंक धननुं दान दीg. एम अत्यामंबरथी वरघोडे चडेलो गुणसागर कुमार, पोताना ससराने घेर तोरण पासें आवी ननो रह्यो. त्यारेसवें वैवाहिक किया थवा लागी. हवे त्यां विवाहनी जे जे क्रिया थवा लागी ते प्रत्येक क्रियाने जोक्ने चिदानंदमां लीन एवो ते कुमार, त त्त्ववृत्तिथी ते ते क्रियाने चिंतववा लाग्यो. ते जेम केः- अहो !प्रथम था स्त्रीयो जे गीतगान करे , ते पण केवल प्रलपन मात्रज . केम के ते स्त्रीना गायेला गुण मांहेलो एक पण गुण परणवा आवेला प्राणीमां होतोज नथी. तथा वली जे वरनां अने कन्यानां लग्न थाय , तेने जगतमां सदु को लोको विवाह कहे , ते वस्तुतः खरूंज जे. केम के वि एटले विशेष करी वाह, एटले संसारनारनुं वहन करवं. अर्थात् जेनां लग्न थाय , ते जीव, संसारनो सर्व बोजो माथा पर लश् अकर्त्तव्य कर्म करे . तेथी ते घणोज खग्रस्त थाय . माटे तेने जगतमा सदु विवाह कहे , ते वि वाहज डे. वली परस्पर परगनार एवां वर अने कन्यानां सोपारी बदले में, ते सोपारीज नथी बदलता, परंतु ते एकबीजां, पुण्यने विषे पापy आरो पण करे ने. वली परणवा आवेलो जीव, जे संपुट नांगे , ते संपुट नथी

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