Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 02
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 24
________________ ए६ जैनकथा रत्नकोप नाग बीजो. लपणाथी मानु, आकाशने जीपती॥ ते नगरीनो वर्णन, केटलो कीजीये ॥ वासुपूज्यना पंच, कल्याणक लीजीयें ॥१॥ नाम जितारि ते, नगरीनो राजीयो ॥ तेज प्रताप महिमाथी, जे जग गाजीयो ॥ चोर चरर ने नवि, सहेवाये तेजथी। मित्र प्रजा सदु लोक,बोलावे हेजथी॥ २॥ जे अहंकारी शत्रु,सुनटने देखवा॥माया विनीत गुण,आबादन लेखवा॥ जसलेवाने लो नी, परधने पांगलो॥परस्त्री देखण जेह, कह्यो ने अांधलो ॥३॥ कीनिमती तस राणी, गुणखाणी कही। शुज सुपने सूचित, गर्ने पुत्री रही। रोहणा चल परवतमा, रतनशुचिजीस।।। तनुकांत अजुयाल,करे जे दश दिशी ॥४॥ जनम समय वधामणु, महामोन्लव करी ॥ जितारि नृप जसमती, तस अनिधा धरी ॥ गिरुया लोकने पर, उपगारनी बुद्धि परें । साननी सु खदायक,गोठडी ज्युं धरे॥५॥ तिणपरें दिन दिन वधती,नागर वेलडी ॥ अ ण अन्यसित तस ावी, कला सुखवेलडी ॥ अनुक्रमें यौवन याव्युं, ते नारी तणुं ॥ महिमामात्र ते यौवन ढुं, किणिपरें नपुं ॥६॥ तो पण सां जल हूं, तुमने कांयक कहुँ॥ मानुं जस पद अंगुली, अलतापणे ल ढुं॥ नहमणि किरण परें नह, किरण ते जाणीयें ॥ नाद मधुर कल हंस, परें वखाणीयें ॥ ७ ॥ कमलिनीनाला उपम, जंघा जेहनी ॥ चा लती थल कमलिनी परें, सोहे मोहनी ॥ नानिमंमलविपुल, मृफु अति सोहती ॥ मदन तणी मानुं शय्या, जन मन मोहती ॥ ७ ॥ मुक्ताफल ना हार, थकी विराजती ॥ कुचफल कतिण विशाल, कलशपरें नाज ती ॥ कर पदनां तल जेहनां, कमल समां कह्यां ॥ श्वासोवास सुरनि घj, चंदन परें लह्या ॥ए ॥ बोले वचन ते वीणा,वेणुनी परें ॥ अधर अरुण जिम कुंकुम, राग वदन धरे ॥ अणमातुं मानुं सरलपj, जसल दयेंवसे ॥ आवी रह्यं नासिकायें, सरल पणे नवि वचें ॥ १० ॥ नेत्र क मलनां पत्र, बन्यां गुन श्रवण ते ॥ जास कपोल ज्योत्स्नायें, पखाले वयण ते ॥ पंचमी चंपरें शुन, जाल ते धारत। ॥ वाद लता मानं कुटिल, पणाने वारती ॥ ११ ॥ मालती कुसुमने केतकी, सहित वे णी नली ॥ मृड स्निग्ध कुटिल, कृष्ण पणुं जिहां वली ॥ कनक कां ति जस देह, घणुं जोवा जिसी ॥ जो सुरगुरु अावी वणवे, पण नवि क हे तिसी ॥ १५ ॥ पण अनुरूप पुरुप कोइ, जगमां नवि जड्यो ॥ जा

Loading...

Page Navigation
1 ... 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80