Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 02
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 57
________________ श्रीनेमिनाथनो रास खंमत्रीजो. २४५ परें चिंतवे ॥ देवता पदमां हो राज, एहने झुं कहीयें हो राज, एहथीम रीयें रे, करतां एहणुं कैतवें ॥ १० ॥ पुण्य ते खूटे हो राज, सङ पलटा य हो राज, बुद्धि पण जायें रे, होय प्रतिकूल सदु आपणा ॥ दैव जो थाय हो राज, तेहथी दूरे हो राज, होय अधूरे रे, पुण्ये नवि होय बाप ना ॥ ११॥ राम केशवनो हो राज, अनिनव पुण्यो हो राज, थाय ने शून्यो रे, अम्ह स्वामीनुं संप्रति ॥ माटें करवू हो राज, जुझ ते सायें हो राज, लेवा बाथ रे, अंगार सुगो लपति ॥१२॥ जश्ने 'कहीयें हो रा ज, चिंति वलिया हो राज, ते घणुं बलीया रे, पण गलीया थया सदु तिहां ॥ कही सदु वात हो राज, मगधनो स्वामी हो राज, मस्तक नामी रे, रोवे कहे झुं थयुं इहां ॥ १३ ॥ पडीयो धरणी हो राज, चेतन वली यो हो राज, बहु टलवलीयो रे, परिजन सहित ते सांजली ॥ कंसने काल हो राज, मूया ते साले हो राज, वा जिम हाले रे, इलित वात ते नवि मली ॥ १४ ॥ सुखमां जातां हो राज, वात ते सुणतां हो राज, तेहज लहेता रे, प्रत्यय कोष्ठक निमित्तियो ।। पूजीचाल्यो हो राज,मुनिवर मलीयो हो राज, तेतो बलीयो रे, चारण ते चारित्रीयो ॥१५॥ कहेश्म वाणी हो राज, समुविजयने हो राज, नमिजिनवरने रे, हरिसेन च कीने इणि परें ॥ जिणवर थाशे हो राज, तुमचो पुत्त हो राज,इणिपरें न त रे,नाम अरिनेम तुम्ह घरे ॥१६॥ राम ने कम हो राज, नवमा जागो हो राज, मनमां बाणो रे, बलदेवनें वासुदेव ए ॥ इम सुणी हरख्या हो राज,रैवतपासे हो राज, कीधा उल्लासें रे,सन्निवेश ततखेव ए ॥१७॥ कोडी अढार हो राज,कुल तिहां रहेतां हो राज,श्रेयता सहेतां रे,गुन दिवसें एक दिन हवे ॥ प्रसवे पुत्त हो राज,सत्य ते नामा हो राज,नामरनामा रे,नानु नाम उरनु वे ॥१॥त्रीजे खमें हो राज,प्रथम अधिकारेंहो राज,मनमांधारे रे,बारमी ढाल सोहामणी ॥ गुरु उत्तमनो हो राज, पद्म ते नांखे हो राज, जोए चाखे रे, होंश ते होय तेहने घणी ॥ १५ ॥ सर्वगाथा ॥ ३० ॥ ॥ दोहा॥ ॥ उत्तम दिवस जो करी, नाही हवे गोविंद ॥ करी सायर पूजा वली, अहम करे सुखकंद ॥ १ ॥. लवणाधिप आराधीयो, त्रीजा दिननी रात ॥ आसन कंप्यु देवनु, जाणी कमनी वात ॥ २॥ आवी देव ते थानकें, रतन

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