Book Title: Jain Hiteshi 1917 Ank 05 06 07
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 2
________________ विशेष प्रार्थना । इस अंक के 'वर्ण और जातिविचार ' ' चन्द्रगुप्तके स्वप्नोंकी जाँच, ' प्राचीन कालमें जिनमूर्तियाँ कैसी थीं, 'दर्शनसार, " धर्मपरीक्षा' आदि लेख बड़े परिश्रम से लिखे गये हैं | विचारशील पाठकोंको इन्हें अवकाशके समय में सावधानतापूर्वक पढ़ना चाहिए और अपने विद्वान मित्रों को पढ़ने के लिए देना चाहिए । -सम्पादक । साहित्य पत्रिका प्रतिभा । ( संपादक, श्रीयुत पं० ज्वालादत्त शर्मा ) प्रतिभाका पाँचवा अङ्क- शीघ्र प्रकाशित होनेवाला है । यह प्रति अँगरेजी मासके पहले सप्ताह में प्रकाशित होती है। यदि आप साहित्यसंबन्धी लेख पढ़ना चाहते हैं, तो प्रतिभा के ग्राहक बनिये । प्रतिभा रसमयी कवितायें और शिक्षाप्रद पर चुभती हुई गल्पें भी प्रकाशित होती हैं । वार्षिक मूल्य २) है । हम इसके विषयमें अधिक न कहकर हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ पत्रिका सरस्वतीकी सम्पति नीचे उद्धृत किये देते हैं: - " प्रतिभा — यह एक नई मासिक पत्रिका है। मुरादाबाद के लक्ष्मीनारायण प्रेस से निकली है । हिन्दी के प्रसिद्ध लेखक पं० ज्वालादत्तजी शर्मा इसके संपादक हैं | सरस्वतीके पाठक आपसे खूब परिचित हैं । वे जानते होंगे कि शर्माजी सरस, बामुहावरा और साथ ही प्रौढ भाषा लिखने में कितने पटु हैं । ऐसे सुयोग्य संपादकके तत्वावधान में आशा है प्रतिभाका उत्तरोत्तर विकास होगा | इसका पहला अङ्क अप्रैल १९१० में प्रकाशित हुआ है । उसमें छोटे बड़े १० लेख और ६ कवितायें हैं । साहित्य, शिक्षा, उद्योग धन्धा, विज्ञान, जीवनचरित और आख्यायिका इतने विषयों पर इसमें लेख प्रकाशित हुए हैं । लेखोंके संबन्ध में सामयिकता और रोचकताका बहुत ध्यान रक्खा गया Jain Education International पत्रव्यवहार करने का पतामैनेजर 'प्रतिभा' लक्ष्मीनारायण प्रेस, मुरादाबाद | For Personal & Private Use Only ײן www.jainelibrary.org

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