Book Title: Jain Granthavali
Author(s): Jain Shwetambar Conference
Publisher: Jain Shwetambar Conference Mumbai

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Page 13
________________ प्रस्तावना. गुजराथमा शिलादित्य राजा थयो ते पहेलाना ग्रंथोनो वखते मतना द्वेषथी बौद्धोए पण नाश कर्यो होय एम अनुमान बांधवाने कारण छे. उत्तरमाथी शंकराचार्य, दक्षिणमाथी कुमारिल भट्टे अने गुजरातमांथी मूळरिए बौद्धोने देशपार काढ्या त्यारपछीनू जैन साहित्य काइ कांइ दृष्टिगोचर थाय छे. बौद्धोनो प्रथम विशेष जुलम होवानो संभव छे. कारणके तेम नहोत तो शंकराचार्य भने कुमारिल भट्टे बौद्धोनु नाम निशान पण आ देशमा रहेवा दीधुं नहि, अने तेमनी राजाओ पासे कतल करावी तेम करवाने तेमने कारण मळत नहीं. शिलादित्यनी सभामां पण जैनोनो बौद्धोए प्रथम पराभव करी गुजरातमाथी जैनोने हांकी कहाड्या हता. आवे वखते बौधोना हाथमा जैन भंडार आवे तो तेनो नाश करवा तेओ चुके नहीं एम मानवु छेक कारण विनानुं नहीं गणाय. देवर्द्धिगणी महाराज पछीथी छेक धनेश्वर सुधी शत्रुजय महात्म्यना कर्ता थया छे. तेमनी वञ्चना ४०० वर्षामां ते समयना कर्तानो करेलो तो एक पण ग्रंथ मळी आव्यो नथी. आ संबंधमां हमारी शोधखोळ चालु छे, अने जो कोई ग्रंथ मळशे तो ते अमे जाहेरमा मुकवा चुकीशुं नहीं. प्रथम विवाद थइ गया पछी पाछो मूळसूरिए बौद्धो साथे वाद कर्यो अने तेमने हराव्या, अने आ देशमा तेमनुं नाम निशान पण रहेवा दीधुं नहीं. एक तरफथी वेदांतना आचार्य अने बीजा तरफथी जैनाचार्योए बौद्धनुं जोर तोडयुं, अने पोताने कृतकृत्य मानवा जेवो प्रसंग लाव्या, पण ते झाझो वखत चाल्युं नहीं. एक गइ अने वीजी आवी तेम आ देशमाथी एक आफत गइ अने तेने बदले मुसलमानो आवता थया. तेथी ग्रंथो पुस्तकारूढ करी तेना रक्षणरूप भंडारोमा व्यवस्थित रीते प्रतो राखयानो प्रचार शरु थयो. आम थवाथी पण अवशेष रहेला ज्ञाननो नाश सर्वथैव बंध थयो नहीं. केम के ठरी ठाम बेठाने थोडो वखत वित्यो नहीं एटलामा विक्रमना दशमा सैकामां एवो बारीक वखत आवी लाग्यो के मुसलमान लोको हिंदुस्तानमां आव्या. तेमणे सोमनाथ लुट्यु, अने देवालयोनो तथा तेमना पुस्तकोनो नाश कर्यो. लाखो माणसोनी कतल थइ, अने करोडोनो माल हिंदमांथी उपाडी गया. आम करवानुं कारण इस्लामी धर्म प्रवर्ताववा जोर जुलम करवो एज हतुं. हिंदुओना धर्मना चिन्होनो समुळगो विध्वंस थाय तो आ नवो धर्म प्रवर्ते. एम जाणी आर्य शास्त्रोनो नाश करवा लाग्या. तेमना भयथी रक्षणार्थे

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