Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 2 Author(s): Buddhisagar Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal View full book textPage 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (५) आचार्य श्रीजिनविजयनी, तथा श्रीकांतिविजयजी प्रवर्तकनी, श्रीकल्याणविजयनी, विजयसिद्धिसूरिना प्रशिष्य श्रीधर्मविजयजी तरफथी पाषाण प्रतिमाओ वगेरेना लेखो लेवाया छे अने केटलाक छपाया छे. श्रावकोमां एक बाबु तरफथी केटलाक लेखो छपाइने बहार पडया छे. दिगंबर जैनोए पाषाण धातु प्रतिमाओना लेखो लीधा होय अने छपाव्या होय एवं मारा जाणवामां आव्युं नथी. तेओ पण चळवळ करता हशे. छासठ गाम पैकी अमदावाद, पाटण, सुरतना बाकीना लेखो अने बीना सर्व नगर, पुर गामोना लेखो लेवानी अत्यंत जरुर छे धनवंतोनी मदद विना धातु पाषाण प्रतिमाओना लेखो लेइ शकाय नहीं अने छपावी शकाय नहीं अने ते विना जैन इतिहास कार्य अपूर्ण रहे तेथी गृहस्थ धनवंत जैनोए सवेळा मदद करवा लक्ष्य देवं जोइए. कंइ एक हाथे ताली वागती नथी माटे विद्वानोनी अने धनवंतोनी मददनी याचना करीए छीए. प्रथम भागना अने बीना भागना लेखो लेवामां जे जे मुनियोए अने श्रावकोए मदद करी छे तथा लेखो छपाववामां जेओए मदद करी छे तेओने अंतःकरणथी धन्यवाद आपीए छीए तथा सहायकारक श्रावकोने धर्मलाभाशीः पूर्वक धन्यवाद आपवामां आवे छे. मुनिश्री जयविजयजी. मुनिश्री कीर्तिसागरजी. पंडित चंदुलाल नानचंद पंडित लालचंद भगवान्दास वगेरेए लेखो लेवामां तथा प्रुफ सुधारवामां सहाय करी छे, तेथी तेओने धन्यवाद देवामां आवे छे. शासन देवोनी सहाय अने आयुष्य बळ वगैरेनी सामग्री कायम रहेशे तो धातु प्रतिमा लेख संग्रहनो त्रीनो भाग बहार पाडवा प्रयत्न करीश. प्रवर्तक श्रीकांतिविजयनी तथा मोदी शा. केशवलालभाइ प्रेमचंद वगेरे अतिहासिक विषयना रागी अने ते बाबतमा उंडा उतरनारा छे, तेओ पण आ बाबतमां चळवळ करशे एवी आशा राखुं छु. लेखो लेवामां अक्षरो बराबर नहिं वंचावाना कारणे भूलो थइ जाय अने एवं बने तेथी बीना For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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