Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 2
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तेथी चैत्र सुदि अगियारसे मरण पाम्या. तेमनो विचार एवो हतो के अमने सुरत लेइ जवा अने अमारी रुखरुमां उद्यापन महोत्सव करवो पण तेमनी उमेद पार पडी नहीं. पानसरना टावरमां सारी लायब्रेरीनी व्यवस्था करवानी हती के जे लायब्रेरीनो हनारो यात्रालुओ लाभ उठावी शके. तेमनो उझमणुं कर्या बाद एक जैन बोर्डीग स्थापवानो विचार हतो पण ते विचारने साथे लेइ गया. तेथी बीजा जन्ममां जैन गुरुकुल बोडींग उद्यापन करवानी प्रवृत्ति थई शकशे. भुरियामाइ बाहोंश व्यापारी हता. पोताना संबंधमां आवेला अंगत मनुष्योने तेमणे व्यापारमा हुशियार करी ठेकाणे पाड्या छे. तेमणे गरीबोने खानगीमां अने जाहेरमां हमारो रुपैयानी मदत करी छे. तेओना रुपैया अन्य झवेरी मित्र पासे ल्हेणा रह्या हता पण ते पर आर्थिक संकट पडतां पोताना रुपैयानी मागणी सरखी पण करी नथी. ते अमो खास जाणीए छीए. तेमणे गरीब जैनोने खानगीमां मदत करी ठेकाणे पाड्या छे. तेओ अमारी साथे वि. सं. १९६७मा सुरतथी मुंबाइ जतां विहारमा सात आठ श्रावको लेइने साथे रह्या हता अने अमारी साथे मोटा भागे विहार करता हता. अगाशीमां अमोए प्रतिष्ठा करी हती ते वखते तेमणे घणी सेवाभक्ति करी हती अने अगाशीमां अमोए मूल नायकनी प्रतिष्ठा वासक्षेप करी विहार को तोपण दरेक गाममा साथे रहेता हता. तेमणे भजनसंग्रह छटो भाग छपाववामां आगेवान थई मदतकरी हती. वि. सं. १९६७ मां मुंबाइमां अमारा चोमासा वखते गुजरातना करवरीया वखतथी गुजरातना घणा गामोनी टीपो आवी तेमां तेमणे झवेरी बनारमा जाते उभा रही टीपो भरावी छे. अन्यजीवने दुःख पडतुं ते देखीने तेमनी आंखमां आंसु आवी जतां. तेओ दान करवामां निरभिमानी हता. तेमणे आखी जींदगी पर्यंत कोइनी साथे क्लेश वैर टंटा झघडा कर्या For Private And Personal Use Only

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