Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 1
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 897
________________ ८३३ निर्वाण साथी भावनि १००० . श्वेताम्बर संदर्भ-पंच दिगम्बर संदर्भ-प्रप क्र.सं. नाम तीर्थकर प्रवचन ३३|.. सत्त.द्वार हरिवंश | तिलोय पण्णत्ती द्वार गाथा गा० ३०६ । | १५४ गाथा पुराण श्लो. गापा ११८५ उत्तर पुराण ३८८-३६१ |३१८-३२०२५३-२८५ से १२०० १ ऋषभदेव १०००० १०००० १०००० १०००० अनेक २ प्रजितनाय १००० ३ संभवनाथ १००० ४ अभिनन्दन अनेक ५ सुमतिनाथ १००० ६ पद्मप्रभ ३०८ ३०८ ३८०० ३२४ १००० ७ सुपार्श्वनाथ ५०० १००० ८ चन्द्रप्रभ १००० १००० १००० ९ सुविधिनाथ १. शीतलनाथ ११ श्रेयांसनाथ १२ वासुपूज्य ६०० ६०० १३ विमलनाथ ६००० ६००० ६०० ८६०० १४ अनन्तनाथ ७००० ७००० ७००० ७००० ७००० ६१०० १५ धर्मनाथ ८०० ८०१ ८०१ ८०९ १६ शान्तिनाथ ६०० ६०० १७ कुंथुनाथ १००० १००० १००० १००० १८ परनाथ १६ मल्लिनाथ ५००० २० मुनिसुव्रत १००० १००० १००० २१ नमिनाथ २२ परिष्टनेमि ५३६ २३ पार्श्वनाथ ३३ २४ महावीर १ १ एकाकी २३ एकेले १० ७२६ १० २९६ .. से ७२७ से ३०२ ० ० १००० ___५०० १००० ५०. १००० ५०० " १ गन्ता मुनिसहस्रण निर्वाणं सर्वाछितम् । [उत्तर पुराण. पर्व ७६, श्लो. ५१२] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912 913 914 915 916 917 918 919 920 921 922 923 924 925 926 927 928 929 930 931 932 933 934 935 936 937 938 939 940 941 942 943 944 945 946 947 948 949 950 951 952 953 954