Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 1
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 945
________________ मार्कण्डेय पुराण - ८, १३६ मूलाचार-७१४ मोक्षमार्ग प्रकाश - ४३० मोन्योर - मोन्योर विलिय संस्कृत इंग्लिश डिक्शनरी-७ (थ) यजुर्वेद - ४३० यजुर्वेद संहिता - ४३० (र) रघुवंश महाकाव्य - ५५६ रत्नकरण्ड श्रावकाचार - ५०६ राज वार्तिक- ५०४ राय प्रसेणी सूत्र - ५३० रिव्यू ग्राफ फिलोसफी एण्ड रिलीजन - ६४७ (12) लाइफ श्राफ गौतम - ७७६ लिंग पुराण- १३८ लोक प्रकाश- ५६६ (ब) aण्डर देट वाज इण्डिया - ४७५ वशिष्ठ स्मृति - ५३४ ११३, २३८ २३६, ३१६, ३१८-३२१, ३२४, ३२६, ३४२, ५४७ वाजसनेयि माध्यंदिन शुक्ल यजुर्वेद संहिता४३० वायु पुराण - १३७, ७८१-७८३ वाराह पुराण- १३७ वाल्मीकि रामायण - ५०२ विचार श्रेणि- ७६६, ७७३ वसुदेव हिण्डी - ५१, विनय पिटक - ७३० विपाक सूत्र - ६२३, ६६१ विविध तीर्थकल्प - ६८६, ६६० विशेषावश्यक भाष्य - ३८, ६४६, ७११, ७१२, ७१५- ७१८ विष्णु पुराण - १३२, १३३, १३८. वीर निर्धारण संवत् और जैनं काल गणना७६९ वीर विहार मीमांसा - ६०८ वैजयन्ती कोष - ४८७, ६४६ Jain Education International 1" वृहत्कल्प - ६१७, ६२४ वृहदारण्यक उपनिषद् - ५०२, ५०४ व्याख्या प्रज्ञप्ति - ६१७ (14) शब्दरत्न समन्वय कोष -४५७, ५६६ शिव पुराण - १३५ श्रमरण भगवान् महावीर - ७०१,७०२ श्रीमद्भागवत - ८, २०, ११३, १२०, १३३१३५, ३३१, ४१४, ४३२, ५४६. ७७८, ७७६, ७८० षट्खण्डागम - ६१५ षड्दर्शन प्रकरण - ५१३ (2) सुख विपाक - ६६१ सुत्तनिपात - ७७२ ८६१ (22) संयत्त निकाय - ७७१ सत्तरिसय द्वार - १६८, १७३, १७४, ११८, २२३, २८५, २६६, ३०८, सप्ततिशत स्थान- ७१३ समवायांग- ६, ३८, ६४, ६६, १६२, १७२, २४१, २६०, ४११, ४६४, ६१६, ६१, ६६४, ६६५, ७०१, ७३७ समागम सुत्त - ७६६ सरस्वती गच्छ की पट्टावली - ७६६ साइनो इण्डियन स्टडीज- ५५८ सामन्न फल सुत्त की टीका- ७२६ सिरिपासनाह चरिउ - ४८२, ४६८, ४८६ For Private & Personal Use Only सुत्तागम - ३ सुमंगल विलासिनी - ७२६ सूत्र कृतांग- ६६६, ६६७, ७३१, ७३५, ७३७ सेक्रेड बुक्स माफ दी ईस्ट- ४७५, ५०२, ५५६ सौभाग्य पंचम्यादि धर्मकथा संग्रह - ६६२ स्कन्ध पुराण- १३८ स्थानांग सूत्र - ३, ६, ५०, १३०, १८७, ६४४, ६४५, ६८५, ६१४, ७०८, ७१०, ७१४, ७३७ www.jainelibrary.org

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