Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 1
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 924
________________ ८६० पुष्पदन्त-२०५, ४८१, ४८६ पुष्पयुत-२६ पुष्पवती-४४०, ४४२, ४४६, ४४७, ४५४, ४५७, ५२१ पुष्य-५८४, ५८५ पुष्यमित्र-५३६, ५४०, ६८६ पूज निका-४७३ पूज्यपाद आचार्य-५५६ पूरण-३३०, ४२५, ४३५, ५४८, ६०४, प्रभावती-३४०, ४८३, ४८५, ४८१,४७, ४६४, ७४२, ७५७ प्रभास-६७३, ६९५, ६६८ प्रसन्नचंद्र-७६०, ७६१ प्रसेनजित-४, ६, ४८३, ४८४, ४८५, ४९६, ५२५, ७३६, ७७१ प्राणतदेव-४७८ प्राणनाथ विद्यालंकार-४२६ प्रियंग सुन्दरी-३४० प्रियकारिणी-५६० प्रियदर्शना-३४०, ६२०, ७१५, ७१६ प्रियमती-२३७ प्रियमित्र-५३८, ५४१ प्रियव्रत-१३२ प्रिया-५१६, ५१७ पूर्ण काश्यप-७३४, ७७१, ७७२ पूर्णचन्द्र नाहर- ७६८ पूर्ण सेन-६२६ पूर्णा-५२१ पृथु-४३२ पृथुकीर्ति-४३३ पृथ्वीरानी-१९७ पृथ्वीपति-३१७ पेढाल-६६६ पोंडा--३४० पोट्टिल-५३६, ५४० पोट्टिलाचार्य-५३८, ६५६ प्रक्रुद्ध कात्यायन-५०४, ७७१, ७७२ प्रगल्भा-५६३ प्रजापति-७४, १३८, ३१८ प्रज्ञप्ति-४६ प्रतिबुद्ध-२६१ प्रतिश्रुति-६ प्रतिष्ठसेन-१६६ प्रदेशी-५२८, ५३१, ५८४ प्रद्युम्न-३४७, ३५१, ३६२, ३७५, ३८२, फर्गुसन-७७६ फर्लाग-४७५ फल्गुश्री-६८५ फाहियान-७७६ फूहर्र-४२६ फ्लीट-७७६ बकुलमति-२३१ बडेसा-५२१ बंधुमती-३४०, ४४३, ४५४, बप्प-५००, ५०३ बरुपा-७२६, ७३१ बल-३०, ६१८ बलदेव-३४४, ३५१, ३७२, ४१३, ४१४-४१६, ४२५ बलदेव उपाध्याय-७७४ बलभद्र-३७०, ३८१, ३८२ बलमित्र-२८५, ६८६ बलराम-३४०, ३४२, ३४३, ३४५-३४८, ३५२, ३५४, ३५८, ३५६, ३६० प्रभंकरा-५२२ प्रभंगा-५२२ प्रभंजन-३० प्रभव-६७५ प्रभाकर-२६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 922 923 924 925 926 927 928 929 930 931 932 933 934 935 936 937 938 939 940 941 942 943 944 945 946 947 948 949 950 951 952 953 954