Book Title: Jain Dharm Prakash 1947 Pustak 063 Ank 08
Author(s): Jain Dharm Prasarak Sabha
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 21
________________ म ८ मा ] हमारा चूर्णि साहित्य ૧૯૫ चूर्णियों के अप्रकाशित होने एवं प्रतियां भी सर्वत्र सुलभ न होने के कारण इनका सांगोपाङ्ग अध्ययन अभी नहीं होने पाया । मेरी जानकारी के अनुसार इनके अभ्यासी ५-७ विद्वान् ही हैं अतः इनके प्रकाशन से हमारी जानकारी बहुत अधिक बढेगी एवं कई पाठों एवं अर्थों के सम्बन्ध में विवाद देखने में आता है उनका भी निर्णय करने का प्रशस्त मार्ग खुल जायगा। ___कई वर्ष पूर्व जैसलमेर भंडार का अवलोकन करने के लिये जाने पर वहां चूर्णियों के सम्बन्ध में प्रकाश डालने का विचार उदय हुआ था। श्रीहरिसागरसूरिजी के पास जो लहीया था उससे भी श्रीजंबूसूरिजीने समग्र चूर्णियों की प्रतिलिपियें करवाइ हैं, मालूम हुआ, पर पता नहीं श्रीजम्बूसूरिजीने उनके प्रकाशन की ओर अभी तक दुर्लक्ष्य क्यों रख छोड़ा हो । आशा है कि आचार्यश्री अविलम्ब इनको प्रकाशित करने में प्रवृत्त होगें। रचनाकाल-जैसा कि सूची से स्पष्ट है, सब से प्रथम एवं अधिक चूर्णियों के निर्माता श्रीजिनदासगणि हैं जो ८ वीं शताब्दी में हुवे है और १२ वी शताब्दी के पश्चात् की कोई चर्णि नहीं मिलती, अतः चूर्णिकाल ८ वीं से १२ वी तक ४५० वर्ष का है यद्यपि चूर्णि नामक रचनायें कई पीछे की भी हैं पर वे टीका के अर्थ में ही है। कइ चूर्णियों का समय एवं रचयिता का पत्ता नहीं चला उनका भी निर्णय हो सके तो ठीक हो । ____इस लेख में यथाज्ञात चर्णिसाहित्य की सूची दी जा रही है। यहां तक हो सका है इसे पूर्ण एवं प्रामाणिक बनाने का प्रयत्न किया गया है। फिर भी संभव है इस सूचि के अतिरिक्त और भी कोइ चूर्णि मिलती हो या उल्लेख मिलता हो, एवं कोई भ्रांति+ रह गयी हो, तो उस पर विशेष प्रकाश डालने का अधिकारी विद्वानों से निवेदन है। इस सूची से आपके यह भी ज्ञात होता है कि एक ही चूर्णि के ग्रन्थाग्रन्थपरिमाण ( श्लोकसंख्या ) के सम्बन्ध में काफी मतभेद है उनका निर्णय भी पाठ * जैसे श्राद्धप्रतिक्रमण चूर्णि, प्रतिक्रमण चूर्णि ( श्रीसोमसुंदरसूरि ) आदि । + जैसे महानिशीथ एवं उपासगदशा की चूर्णिका जै. भ. सूची में निर्देश है पर सम्भवतः वे चूर्णिये नहीं है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32