Book Title: Jain Darshan me Samyaktva ka Swarup
Author(s): Surekhashreeji
Publisher: Vichakshan Smruti Prakashan
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जैन दर्शन में सम्यक्त्व का स्वरूप
गोम्मटसार (जीवकाण्ड) -नेमिचन्द्रजी, छाया. टीका. जैन पं. खूबचन्द्र ..
बम्बई : निर्णय सागर प्रेस, प्रथमावृत्ति, १९१६. गोम्मटसार (कर्मकाण्ड)
-नेमिचन्द्रजी, अनु. संपा. जैनी ए. एल.
बम्बई : निर्णय सागर प्रेस, प्रथमावृत्ति. १९६९. शाताधर्मकथांग (वृत्ति, नियुक्ति सह) । -वृत्ति. अभयदेवसूरि नियुक्ति भद्रबाहू महेसाना : आगमोदय समिति, १९१९. संपा. अनु. भारिल्ल शोभाचन्द्र
पाथर्डी : त्रि. र. धा. परीक्षा बोर्ड, प्रथमावृति, १९६४. ज्ञानसार (भाग १-२) -यशोविजयजी, संपा. भद्रगुप्त विजयजी
हारीज : विश्व कल्याण प्रकाशन शानार्णव -शुभचन्द्राचार्य, संपा. बाकलीवाल, पं. पन्नालाल बम्बई : परमश्रुत प्रभावक मंडल, द्वित्तीयावृत्ति, १९१३.
ठाणं
-संपा. नथमल मुनि
लाडनू : जन विश्व भारती प्रथमावृत्ति, १९७६. तत्त्वार्थ सूत्र-उमास्वाति -(क) सर्वार्थसिद्धि, पूज्यपाद, संपा. शास्त्री फूलचन्द्र,
वाराणसी : भारतीय ज्ञानपीठ, द्वित्तीय संस्करण, १९७१. -(ख) सभाष्य टी. सिद्धसेन गणि, संपा. कापड़िया हीरालाल रसिकदास
बम्बई : जीवनचन्द साकरचन्द्र झवेरी, प्रथम संस्करण, १९१५. -(ग) राजवार्तिक, अकलंक देव, संपा. जैन महेन्द्रकुमार
भाग १-२. काशी : भारतीय ज्ञानपीठ, प्रथमावृत्ति १९५३,१९५७.

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