Book Title: Jain Darshan me Samyaktva ka Swarup
Author(s): Surekhashreeji
Publisher: Vichakshan Smruti Prakashan

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Page 290
________________ २६८ जैन दर्शन में सम्यक्त्व का स्वरूप मेहता, मोहनलाल एवं कापड़िया, हीरालाल र. -जैन साहित्य का बृहद् इतिहास भाग-४, वाराणसी : पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, १९६८. योहन फाईस -ईसाई दर्शन, जयपुर : राजस्थान हिंदी ग्रन्थ एकादमी, १९८२.. रत्नचन्द्रजी म० -जैनागम शब्दकोष, प्रथमावृत्ति. लींबड़ी : संघवी गुलाबचन्द जसराज, १९२६. डाँ राधाकृष्णन् अनु शुक्ल चन्द्रशंकर प्राणशंकर -उपनिषदो नुं तत्त्वज्ञान, प्रथमावृत्ति, बम्बई : वोरा एण्ड कम्पनी, १९४९: -अनु. शुक्ल चन्द्रशंकर प्राणशंकर धर्मों नुं मिलन; द्वितीय संस्करण, बम्बई : भारतीय विद्याभवन, १९४७. -अनु. गोमिल, श्री नंद किशोर भारतीय दर्शन भाग १-२, दिल्ली : राजपाल एण्ड सन्स, प्रथमावृत्ति, .१९६९. रावल, प्रो. सी. वी. -श्रीमद् शंकराचार्य नुं तत्त्वज्ञान, प्रथमावृत्ति, अहमदाबाद : यूनिवर्सिटी ग्रन्थं निर्माण बोर्ड गुज. राज्य, १९७४. वर्णी, जिनेन्द्र -जैनेन्द्र सिद्धांत कोष, भाग-४. प्रथमावृत्ति नयी दिल्ली : - भारतीय ज्ञानपीठ, १९७३. वर्मा, सांवरिया बिहारीलाल -विश्व धर्म दर्शन, प्रथमावृत्ति, पटना : बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, १९५३. विजय राजेन्द्रसरि -अभिधान राजेन्द्र, संशो. दीपविजय. यतीन्द्रविजय जैन श्वे... समस्त संघ मुद्रित-जैन प्रभाकर प्रिन्टींग प्रेस रतलाम १९१३.

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