Book Title: Jain Darshan me Samyaktva ka Swarup
Author(s): Surekhashreeji
Publisher: Vichakshan Smruti Prakashan

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Page 303
________________ २८१ शब्द संदर्भ सचि शब्द पृष्ठ संख्या पट् खण्डागम ११३, १३१ षट् संपत्ति २०० षडावश्यक ९ संक्षेप रुचि ४१, ६७ संघतिलकाचार्य १४९ सजात अढे ५० संत पौलुस २२८ संत माथ्थी २३० संप्रज्ञात समाधि १८८ . संप्रज्ञान योग १८९ संप्रसाद अवस्था १८७, . शब्द पृष्ठ संख्या सन्निकर्ष १ समयसार ११०, १११ समवायांग ५८, ६४,७२,७६ सम्मत्त इंसिण २५ सम्मत्त दंसी २५ समिय दंसण २५ सम्यक्त्व परीक्षा १५० सम्यक्त्व वेदनीय ७३ । सम्यक्त्व सप्तति १३९,१४९ सम्यग्दृष्टि गुणस्थान ७२, ११६, ११७, ११८, १२७ १२९, १३०, १३४ सम्यग्मिथ्यादृष्टि गुणस्थान ७२, ११६, ११७, ११८, १२७ १२९, १३०, १३४ सम्यग्मियात्व वेदनीय ७३ सम्यक् श्रद्धा ११ सम्यक्त्व के लिंग ४९ सम्यक् श्रुत ५९ सर्वात्मदर्शन १६ सर्वार्थसिद्धि ८६, ८७ सर्वोपशमना १३७ सयोगीकेवलि ७२, १२६ सहभावित्व २२ सांख्यकारिका १८२ सांख्य तत्त्व कौमुदी ७ सांख्यदर्शन १८६, १९२ संबोध प्रकरण १३९ . सन्मति प्रकरण १३५ १३६ • संयंतासंयत १२०, १२७ संयुत्तनिकाय १८० संलाप १४६ संवर ९७, ९८ संवेग १४५ संकृदागामी १७६, १७७ सच्चक ९ सत्यभाषा २७ . सत्यस्पर्शी ३ सत्त्वगुण ९७ सत्त्वापत्ति ०२ सात्विकी २८९, २१०

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