Book Title: Jain Darshan me Samyaktva ka Swarup
Author(s): Surekhashreeji
Publisher: Vichakshan Smruti Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 282
________________ २६०. जैन दर्शन में सम्यक्त्व का स्वरूप भगवद् गीता रहस्य तिलक बालगंगाधर अनु. त्रिवेदी उत्तमलाल के. पूना : रामचन्द्र अने टिलक श्रीधर, द्वित्तीयावृत्ति, १९२४. गीता दर्शन . राधाकृष्णन् अनु. शुक्ल चन्द्रशंकर प्राणशंकर बम्बई : वोरा एण्ड कम्पनी, प्रथमावृत्ति, १९४७. . गीता प्रवचनो विनोबा भावे अहमदाबाद : चवजीवन प्रकाशन मंदिर, प्रथमावृत्ति, १९५२. श्रीमदभागवत भाग १-२ महर्षि वेदव्यास गोरखपुर : गीता प्रेस, द्वित्तीय संस्करण, १९५१. मज्झिम निकाय ( मूल ) भाग १-२ संपा. कश्यप, भिक्षु जगदीश बिहार सरकार : पाली प्रकाशन मण्डल, १९५८. अनु० सांकृत्यायन राहुल बनारस : महाबोधि सभा, प्रथमावृत्ति, १९३३. . महापुराणम ( प्रथम विभाग) जिनसेनाचार्य संपा. जन, पं. पन्नालाल काशी : भारतीय ज्ञानपीठ, १९५१. महाभारत ( अनुशासन पर्व ) व्यास कृष्ण द्वैपायन पुण्यपतन : जोशी शंकर नरहर, प्रथमावृत्ति, १९३३. महाभारत अनुशासन पर्व गुज. अनु. संपा. भट्ट मणिशंकर महानंद बम्बई : कालबादेवी रोड, चतुर्थ संस्करण, १९२३.

Loading...

Page Navigation
1 ... 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306