Book Title: Jain Darshan Aur Sanskriti Author(s): Mahapragna Acharya Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 7
________________ प्रकाशकीय विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर (M.A.) कक्षाओं में 'जैन दर्शन' का विषय अनेक वर्षों से मान्य रहा है, पर स्नातक (B.A.) कक्षाओं में इस विषय का पठन-पाठन दुर्लभ है। अजमेर विश्वविद्यालय द्वारा यह नया कदम जैन दर्शन अध्ययन के क्षेत्र को एक नया विस्तार देगा। जैन विश्व भारती और ब्राह्मी विद्यापीठ, लाडनूं में जैन विद्या के अध्ययन एवं अनुसन्धान का व्यवस्थित क्रम वर्षों से चल रहा है, उसे इससे बल मिलेगा। हमारे लिए यह परम प्रसन्नता का विषय है कि “जैन दर्शन और संस्कृति" बी. ए. के छात्रों के हाथों तक पहुंचा सके हैं। प्रस्तुत पुस्तक में तीन खण्ड हैं१. दर्शन २. इतिहास ३. संस्कृति . प्रथम खण्ड की सामग्री में जैन दर्शन के मौलिक एवं तात्विक सिद्धान्तों का समावेश किया गया है, जो जैन दर्शन के प्राथमिक ज्ञान के लिए अत्यन्त आवश्यक है। द्वितीय खण्ड में जैन साहित्य के प्रमुख घटना-प्रसंग, चरित्र एवं साहित्य की संक्षिप्त रूपरेखा कलात्मक रूप में प्रस्तुत है। तृतीय खण्ड में जैन संस्कृति, जैन कला और जैन धर्म के प्रसार-क्षेत्र का संक्षिप्त विवरण की प्रस्तुति है। प्रस्तुत कृति के प्रेरणा-स्रोत हैं-युगप्रधान आचार्यश्री तुलसी, जिनके आशीर्वाद ने हमारे प्रति चरण के लिए पथ प्रशस्त किया है। श्रद्धेय युवाचार्यश्री महाप्रज्ञ के निदेशन में उनकी अनेक वृत्तियों के संदोहन से इस पुस्तक का निर्माण संभव हुआ है। इन महान् पथ-दर्शकों के प्रति अनन्त श्रद्धाएं समर्पित करते हैं। समाकलकों के रूप में मनि श्री महेन्द्र कुमार एवं डॉ. भंवरलाल जोशी का प्रखर परिश्रम इस पाठ्य-पुस्तक के प्रत्येक पाठ में स्वयं मुखर है। पारिभाषिक शब्द-कोष विद्यार्थी के लिए एक मार्गदर्शिका (guide) का कार्य करेगा। हम इनके प्रति हार्दिक कृतज्ञता के भाव अभिव्यक्त कर रहे हैं।Page Navigation
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