Book Title: Jain Balpothi
Author(s): Harilal Jain
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 22
________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates ( ११. शास्त्र sta સt1 અરૂપી Emazink मर मैं ज्ञायक हँ यह समयसार है। वह एक शास्त्र है। शास्त्र आत्मा को समझाते हैं । ज्ञानी जिसकी रचना करें वह शास्त्र है । शास्त्र से आत्मा की पहिचान होती है । शास्त्र में ज्ञान नहीं है। वह कुछ जानता नहीं है। जीव में ज्ञान है । वह सब कुछ जानता है । समयसार शास्त्र बहुत अच्छा है । इससे आत्मा का ज्ञान होता है । कुन्दकुन्द आचार्य ने इसकी रचना की है । सदा शास्त्र का दर्शन और स्वाध्याय करना चाहिये । शास्त्र को जिनवाणी कहते हैं । Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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