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२४. धन
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१. सहजानंदी शुद्ध स्वरूपी, अविनाशी मैं आत्मस्वरूप ।।
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२. हम हैं जिनवर की संतान , सदा करेंगे आतमज्ञान ।।
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३. देव हमारे श्री अरहंत, गुरु हमारे निर्ग्रन्थ सन्त ।।
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४. अरिहंत की जय ... जिनवाणी की जय।
गुरुदेव की जय . . . जिनधर्म की जय।
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५. देह मरे भले, मैं नहीं मरता,
अजर-अमर मैं आत्मस्वरूप ।।
६. ' आत्म-भावना करते
करते होता केवलज्ञान ।'
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