Book Title: Hua So Nyaya
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ हुआ सो न्याय लिए श्रेय ही हे न ? दादाश्री: विनाश होता दिखे, उसे श्रे. किस प्रकार कहेंगे ? लेकिन विनाश होता है वहे पद्धतिनुसार सत्य ही है । कुदरत विनाश करती है वही भी बराबर है और कुदरत जिसका पोषण करती है वह भी बराबर है । सब रेग्युलर (नियमसे) करती है, ऑन ध स्टेज । यह तो अपने स्वार्थ को लेकर लोक फ़रियाद ( शिकायत) करते हैं, हमें फायदा हुआ । अर्थात लोग तो अपना-अपना स्वार्थ ही गाते (देखते) है। हुआ सो न्याय पहले का सब हिसाब है न । बही खाता बाकी है इसलिए, वर्ना कभी भी हमारा कुछ ले नहीं किसी से ले सकें, ऐसी शक्ति ही नहीं है? और ले लेव वह तो हमारा कुछ अगला-पिछला हिसाब है । इस दुनिया में कोई पैदा नहीं हुआ कि जो किसी का कुछ कर सके । उतना चौकस (सही) कानूनन संसार है । बहुत ही कानूनन् जगत् हे । सांप भी छएव नहीं ? इतना यह मैदान साँपसे भरा हो, पर छूए नहीं उतना नियम वाला जगत है । बहुत हिसाब वाला संसार है । यह संसार बड़ा सुंदर है, न्याय स्वरूप है, पर फिर भी लोगों की समझमें नहीं आता। मिले कारन (कारण), परिणाम पर से । प्रश्नकर्ता : आप कहते है कि कुदरत न्यायी है, तो फिर फूकंप होते हैं, बवंडर आते है, बारिश जोरोंसे होती है. वह किस लिए? दादाश्री : वह सब न्याय हो रहा है । बारिश होती है. सब अनाज पकता है । यह सब न्याय हो रहा है । भूकंप होते है, वह भी न्याय हो रहा है। प्रश्नकर्ता : वह किस तरह ? दादाश्री : जितने गुनहगार होंगे उतनों को ही पकड़ेंगे, दूसरों को नहीं। गुनहगार को ही पकड़ते है वह सब । यह संसार बिलकुल डिस्टर्ब (विचलित) हुआ नहीं है । एक सेकिन्ड के लिए भी न्याय के बाहर कुछ गया नहीं है । संसार में जरूरत चोर-साँपकी ! तब ये लोग मुझसे पूछते है कि ये चोर लोग क्या करने आये होंगे ? वे सभी जेबकतरोंकी क्या आवश्यकता है ? भगवानने क्योंकर इनको जनम(जन्म) दिया होगा । अबे (अरे) वे नहीं होते तो तुम्यारी जेबे कौन खाली करने आता ? भगवान स्वयं आते ? तुम्हारा चोरी का धन कौन हडप जाता ? तुम्हारा खोटा धन कौन ले जाता ? वे निमित्त हैं बेचारे ? अर्थात् इन सभी की आवश्यकता है। प्रश्रकर्ता : किसीकी पसीने की कमाई भी जाती रहती है । दादाश्री : वह तो इस अवतार (जन्म) की पसीनेकी कमाई, लेकिन यह सब रिझल्ट (परिणाम) है । जैसे परिक्षा का रिझल्ट आये न, यह मैथेमैटिक्स (गणित) में सौ मार्क्स में से पंचानवे मार्कस आये और ईग्लिश में सौ मार्स में से पच्चीस मार्क्स आये । तब हमें मालुम नहीं होगा कि इसमें कहाँ पर भूल रहती है ? इस परिणाम पर से, किस - किस कारन (कारण) से भूल हुई वह हमें पता चले न ? ऐसे ये सभी परिणाम निकलते हैं । ये संयोग जो सब प्राप्त होते हे, वे सभी परिणाम है । और उस परिणाम पर से क्या कॉज कारन (कारण) था, वह हमें मालुम होगा । यहाँ रास्ते पर सभी मनुष्यों की आवन-जावन (का आना-जाना) हो और बबल की शल ऐसे सीधी खड़ी हो, लोग आते-जाते हो, लेकिन शूल वैसीकी वैसी पड़ी हों । और हम कभी भी बट-चप्पल पहने बगैर निकलते नहीं हो पर उस दिन किसीके वहाँ गये हो और शोर उठे कि चोर आया, चोर आया तब हम खुले पैर दौड़ पड़े और शूल हमारे पैर में घुस जाये । वह हिसाब हमारा । वह भी ऐसे आप-पार हो जाये ऐसे घुस जाये । अब यह संयोग कौन मिला देता है ? यह सब व्यवस्थित है। कानून सभी कुदरत के मुम्बई के कोर्ट एरियामें आपकी सोने की चेनवाली घड़ी खो जाये और आप घर आकर ऐसा मानले कि भैया, अब वह हमारे हाथ नहीं लगेगी।

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17