Book Title: Hua So Nyaya
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Foundation

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Page 1
________________ दादा भगवान प्रापित हुआ सो न्याय । हुआ सो न्याय! कुदरत के न्याय को समझोगे कि 'हुआ सो न्याय', तो आप इस संसार से मुक्त हो सकोगे। अगर कुदरत को जरा भी अन्यायी मानोगे तो आपका संसार में उलझने का कारण वह ही है। कुदरत को न्यायी मानना, उसी का नाम ज्ञान। जैसा है वैसा' जानना, उसी का नाम ज्ञान और जैसा है वैसा नहीं जानना, उसी का नाम अज्ञान ।। ___ हुआ सो न्याय' समझें तो संसार से पार हो जायें, ऐसा है । दुनिया में एक क्षण भी अन्याय होता नहीं है । न्याय ही हो रहा है ।बुद्धि हमें फँसाती है कि यह न्याय कैसे कहलाये ? इसलिए हम असली बात बताना चाहते हैं कि यह न्याय कुदरत का है और आप बुद्धि से अलग हो जाये। एक बार समझ लेने के बाद हमें बुद्धि का कहा नहीं मानना चाहिए। हुआ सोही न्याय । -दादाश्री

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